करीमनगर लोकसभा सीट.
करीमनगर लोकसभा सीट तेलंगाना की 17 लोकसभा सीटों में से एक है. 2019 में इस सीट पर BJP ने जीत दर्ज की थी. तेलंगाना BJP के दिग्गज नेता बंदी संजय कुमार यहां से सांसद बने थे. इस सीट से तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री व BRS चीफ के.चंद्रशेखर राव तीन बार सांसद रह चुके हैं. 1952 में हुए लोकसभा के पहले चुनाव में यह सीट अस्तित्व में आई. अपनी स्थापना के बाद से यह कांग्रेस का गढ़ रही. विभिन्न लोकसभा चुनावों में तेलंगाना प्रजा समिति, बीजेपी और तेलुगु देशम पार्टी जैसे विभिन्न राजनीतिक दलों ने इस सीट पर जीत हासिल की.
करीमनगर लोकसभा सीट करीमनगर जिले का मुख्यालय भी है. स्थानीय भाषा में इसे मूल रूप से ‘इलागंदला’ भी कहा जाता है. करीमनगर लोकसभा क्षेत्र का अपना ऐतिहासिक महत्व भी है. करीमनगर जिले में सातवाहन काल के कुछ प्रमुख प्रमाण भी मिले हैं. कहा तो यह भी जाता है कि भारत में सबसे पहले यहीं पर लौह अयस्कों का उपयोग किया गया था. यहां पत्थर की खदानें काफी अधिक संख्या में हैं. वर्तमान में 600 से अधिक पत्थर खदाने यहां संचालित हैं. हैदराबाद से करीमनगर की दूरी 163 किलोमीटर है.
2019 में BJP के बंदी संजय कुमार ने दर्ज की थी जीत
करीमनगर लोकसभा क्षेत्र में सात विधानसभा सीटें आती हैं, जिसमें करीमनगर, चोप्पाडांडी, वेमुलावाड़ा, सिरसिला, मनकोंदुर, हुजूराबाद और हुस्नाबाद विधानसभा सीटें शामिल हैं. इस लोकसभा क्षेत्र में करीब 17 लाख वोटर हैं. 2019 में कुल 11 लाख 47 हजार 697 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था, जिनमें से पुरुष मतदाताओं की संख्या 5,58,800 और महिला मतदाताओं की संख्या 5,88,108 थी. BJP के बंदी संजय कुमार को 4 लाख 98 हजार 276 वोट मिले थे.
सयैद करीमुद्दीन के नाम पर पड़ा इसका नाम
एक किलेदार सयैद करीमुद्दीन के नाम पर करीमनगर जिले का नाम पड़ा. करीमनगर वेदों की शिक्षा के लिए प्रसिद्ध है, जो प्राचीन काल से ही इस नगर की पहचान रहा है. इसी लोकसभा क्षेत्र से होकर गोदावरी नदी बहती है. इस नदी के पानी का उपयोग घर-घर पहुंचाने, खेतों की सिंचाई सहित अन्य कामों में किया जाता है. इस लोकसभा क्षेत्र में कई प्रचीन मंदिर भी आते हैं.
करीमनगर में राजाराजेश्वर स्वामी का मंदिर
करीमनगर में ही भगवान राजाराजेश्वर स्वामी का प्रसिद्ध मंदिर है. यहां दूर-दूर से भक्त दर्शन के लिए आते हैं. इस मंदिर को चालुक्य राजाओं ने 750 ईसवी से 975 ईसवी के बीच में बनवाया था. मंदिर परिसर के अंदर ही भगवान राम, लक्ष्मण, देवी लक्ष्मी, गणपति और भगवान पद्मनाथ स्वामी के मंदिर भी बने हुए हैं. मंदिर परिसर ही एक धर्मकुंडम है, जिसमें भक्त स्नान करते हैं. भक्तों का मानना है कि इसमें स्नान करने बीमारियां ठीक हो जाती हैं.
पहले ‘सब्बिनाडु’ नाम से जाना जाता था करीमनगर
करीमनगर का नाम किलेदार सैयद करीमुद्दीन के नाम पर रखा गया था, जिन्हें इसका संस्थापक माना जाता है. करीमनगर को पहले ‘सब्बिनाडु’ के नाम से जाना जाता था. करीमनगर और श्रीशैलम में पाए गए काकतीय राजा प्रोल द्वितीय और प्रतापरुद्र के शिलालेख इसके समृद्ध इतिहास का प्रमाण देते हैं. करीमनगर जिले राज्य का एक प्रमुख कृषि केंद्र है. शहर के चारों ओर विशाल कृषि क्षेत्र गोदावरी नदी द्वारा सिंचित है.
शहर के आसपास पर्यटकों की रुचि के स्थानों में एल्गंडल और वेमुलावाड़ा शामिल हैं. करीमनगर सड़क मार्ग द्वारा वारंगल, निजामाबाद, मेडक और राज्य के अन्य हिस्सों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है. निकटतम हवाई अड्डा हैदराबाद (160 किमी) में है. करीमनगर जिला दक्षिण में वारंगल और मेडक जिलों, पश्चिम में निजामाबाद जिला, पूर्व में मध्य प्रदेश राज्य और उत्तर दिशा में आदिलाबाद जिले से घिरा है.
इन शासकों ने करीमनगर पर किया था शासन
करीमनगर प्राचीन काल से ही वैदिक शिक्षा के लिए जाना जाता है. गोदावरी नदी इस जगह की सुंदरता में चार चांद लगा देती है. एनटीपीसी, केसोराम सीमेंट्स, रामागुंडम-सिंगारेनी कोलियरी आदि जैसी कई बड़ी कंपनियां करीमनगर और उसके आसपास स्थित हैं. करीमनगर जिले में वेमुलावाड़ा, धर्मपुरी, कालेश्वरम, कोंडागट्टू आदि पवित्र स्थान मौजूद हैं. करीमनगर जिले का इतिहास पुराने पाषाण युग यानी 1,48,000 ईसा पूर्व से शुरू होता है. करीमनगर पर शतवाहनों का शासन था. साथ ही मौर्य राजाओं, आसफजालु राजाओं ने भी करीमनगर पर शासन किया. इन राजाओं द्वारा बनवाए गए भवन, निर्माण आज इतिहास के उल्लेखनीय साक्ष्य हैं.