ओडिशा राज्य के जाजपुर अपनी ऐतिहासिक विरासत और खूबसूरती के लिए मशहूर है. राज्य में इस समय हर ओर चुनावी माहौल बना हुआ है. राज्य में लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा चुनाव भी कराए जा रहे हैं. हजार साल पहले बसे जाजपुर क्षेत्र की जाजपुर संसदीय सीट पर बीजू जनता दल का कब्जा है और भारतीय जनता पार्टी का यहां पर अब तक खाता भी नहीं खुला है. कांग्रेस को भी 25 साल से अपनी पहली जीत का इंतजार है.
जाजपुर जिले का गठन 10वीं शताब्दी की शुरुआत में सोमवंशी राजा ‘जाजाति केशरी’ ने किया था. जिले का नाम इसके मुख्यालय शहर, जाजपुर से लिया गया है. जाजपुर जिला एक अप्रैल 1993 को अस्तित्व में आया. इससे पहले यह जिला कटक का हिस्सा हुआ करता था. बाद में कटक को 4 अलग-अलग जिलों में विभाजित कर दिया गया. जाजपुर जिला उत्तर में क्योंझर और भद्रक जिलों, दक्षिण में कटक, पूर्व में ढेंकनाल और पश्चिम में केंद्रपाड़ा जिले से घिरा हुआ है. यह शहर 2887.69 वर्ग किमी एरिया में फैला है और 2011 की जनगणना के अनुसार यहां की कुल आबादी 18,26,275 है.
2019 के चुनाव में क्या रहा परिणाम
जाजपुर जिले की अर्थव्यवस्था कृषि प्रधान है. यहां की अर्थव्यवस्था में कृषि और खनन प्रमुख भूमिका निभाते हैं. पिछले कुछ सालों में, जाजपुर ने औद्योगिक विकास में बड़ी प्रगति की है. यहां के अहम उद्योगों में मेस्को, नीलाचल इस्पात, मैथन, टाटा स्टील्स, ब्राह्मणी रेवर पेलेट्स लिमिटेड और जिंदल स्टेनलेस लिमिटेड जैसे बड़े संयंत्रों ने यहां अपने प्लांट स्थापित किए हैं. जिले की साक्षरता दर 80.44 फीसदी है.
जाजपुर संसदीय सीट पर 2019 के चुनाव में बीजू जनता दल की शर्मिष्ठा सेठी को जीत मिली थी. शर्मिष्ठा सेठी ने चुनाव में 544,020 वोट हासिल की, तो उनकी निकटतम प्रतिद्वंद्वी अमिया कांता मलिक को 442,327 वोट मिले थे. कांग्रेस के मानस जेना तीसरे स्थान पर रहे थे. शर्मिष्ठा सेठी ने एक आसान मुकाबले में 101,693 मतों के अंतर से जीत हासिल की थी.
तब के चुनाव में जाजपुर सीट पर कुल वोटर्स की संख्या 14,13,322 थी, जिसमें पुरुष वोटर्स की संख्या 7,44,645 थी तो महिला वोटर्स की संख्या 6,68,627 थी. यहां पर 78 फीसदी वोटिंग हुई. कुल वोटर्स में से 10,92,084 वोट डाले. चुनाव में NOTA के पक्ष में 7,161 वोट पड़े थे.
जाजपुर सीट का संसदीय इतिहास
अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व जाजपुर संसदीय सीट पर बीजू जनता दल का 1999 से ही कब्जा बना हुआ है. भारतीय जनता पार्टी को इस सीट पर अभी अपना खाता खोलना है. 1999 से बीजू जनता दल के जगन्नाथ मलिक ने जीत से शुरुआत की थी और तब से यह सीट उसी के पास है.
साल 2004 और 2009 में मोहन जेना को जीत मिली तो 2014 के चुनाव में रीता तराई को यहां से जीत मिली. रीता ने कांग्रेस के अशोक दास को 3,20,271 मतों के अंतर से हराया था. बीजेपी तब तीसरे स्थान पर रही थी. 2019 में बीजेपी ने अपने प्रदर्शन में सुधार किया और उसके प्रत्याशी अमियकांता मलिक तीसरे से दूसरे स्थान पर पहुंच गए.
बीजेपी से बीजेडी को मिलेगी कड़ी चुनौती
2014 के संसदीय चुनाव में बीजेपी के अमिय को 1,50,789 वोट मिले जबकि 2019 में उन्हें 4,42,327 वोट मिले. बीजेडी को यहां पर 1,01,693 मतों के अंतर से जीत मिली थी. ऐसे में इस बार यहां पर मुकाबला कड़ा हो सकता है. पिछले 2 चुनावों में बीजेपी ने जिस तरह से प्रदर्शन किया है उससे यही लगता है कि इस बार बीजेडी को अपनी सीट बचाए रखने के लिए यहां कड़ा संघर्ष करना होगा.