ओडिशा के खूबसूरतों शहरों में बोलंगीर जिला भी गिना जाता है. यह शहर अपने कई शानदार मंदिरों, इमारतों और पहाड़ियों के लिए जाना जाता है. ओडिशा में लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा चुनाव कराए जा रहे हैं. ऐसे में यहां जोरदार हलचल बनी हुई है. नवीन पटनायक की अगुवाई वाली बीजू जनता दल (BJD) एक बार फिर से सत्ता पर कब्जा हासिल करना चाहेगी. जबकि भारतीय जनता पार्टी (BJP) ओडिशा में पहली बार सत्ता पर काबिज होना का सपना पूरा करने की कोशिश में लगी है. बोलंगीर लोकसभा सीट पर इस समय बीजेपी का कब्जा है.
बोलंगीर जिला पूर्ववर्ती पटना राज्य का हिस्सा हुआ करता था. पटना राज्य 14वीं शताब्दी ईस्वी से चौहानों के अधीन पश्चिमी ओडिशा में एक अहम राज्य था. चौहान यहां के सबसे शक्तिशाली शासकों में से एक थे जिन्होंने पश्चिमी ओडिशा में 18 गढ़ पर शासन किया. रमई देव ने 14वीं शताब्दी में पटना राज्य की स्थापना की और जल्द ही वह 18 गढ़ों के एक समूह के प्रमुख बन गए. यहां के 12वें राजा नरसिम्हा देव ने अंग नदी के उत्तर में स्थित इस क्षेत्र को अपने भाई बलराम देव को सौंप दिया. पटना राज्य की राजधानी पटनागढ़ थी. 16वीं शताब्दी के दौर में बल्लाराम देव ने अपनी राजधानी को पटनागढ़ की जगह उससे करीब 40 किमी दूर दक्षिण की ओर ले गए. जो बलरामगढ़ नामक एक केंद्र में था, बाद में यह बोलंगीर के नाम से जाना जाने लगा.
विधानसभा में BJD के पास 7 में से 4 सीट
ब्रिटिश राज में साल 1854 में पटना राज्य छोटानागपुर के कमिश्नर के अंडर में आ गया. इसके 7 साल बाद 1861 में मध्य प्रांत के निर्माण के बाद, पटना राज्य के साथ-साथ रायराखोल, बमारा और कालाहांडी राज्य और संबलपुर जिले को इस नए प्रांत में शामिल कर लिया गया. इसको मिलाकर 1863 में सामंती राज्य घोषित कर दिया गया. 1905 में तत्कालीन उड़ीसा डिवीजन का एक हिस्सा बनाने के लिए संबलपुर जिले के साथ इसे बंगाल में मिला लिया गया.
एक जनवरी, 1948 को पटना राज्य के तब के उड़ीसा में विलय के साथ चौहान शासन का अंत हो गया. राजेंद्र नारायण सिंह देव पटना रियासत के अंतिम शासक रहे और कालाहांडी, पटना तथा सोनपुर को मिलाकर बोलंगीर-पटना को मिलाकर एक नया जिला बना दिया गया. एक नवंबर 1949 को बोलंगीर जिला बनाया गया. 1993 में इस जिले का विभाजन कर सुबरनापुर नाम से नया जिला बनाया गया.बोलंगीर संसदीय सीट के तहत 7 विधानसभा सीटें आती हैं जिसमें 2 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. यहां पर 4 सीटों पर बीजेडी को जीत मिली तो 2 सीटों पर कांग्रेस जबकि एक सीट पर बीजेपी को जीत मिली थी.
2019 के चुनाव में क्या रहा परिणाम
2019 के आम चुनाव में बोलंगीर सीट के परिणाम को देखें तो यहां पर बीजेपी को जीत मिली थी. बीजेपी की प्रत्याशी संगीता कुमारी सिंह देव ने कड़े मुकाबले में जीत हासिल की थी. संगीता कुमारी सिंह देव ने 498,086 वोट हासिल की, जबकि बीजू जनता दल के कैलाश नारायण सिंह देव को 478,570 वोट मिले. कांग्रेस के समरेंद्र मिश्रा ने भी कड़ी चुनौती पेश की और 271,056 वोट हासिल कर मुकाबले को रोमांचक बना दिया.
हालांकि संगीता कुमारी सिंह देव ने 19,516 मतों के अंतर से मुकाबला अपने नाम कर लिया. तब के चुनाव में बोलंगीर सीट पर कुल वोटर्स 16,77,774 थे जिसमें पुरुष वोटर्स की संख्या 8,71,625 थी तो महिला वोटर्स की संख्या 8,06,030 थी. यहां पर 79 फीसदी वोटिंग हुई. कुल 13,06,705 वोटर्स ने वोट डाले. NOTA के पक्ष में 16,001 वोट आए.
बोलंगीर सीट हैट्रिक लगा चुकी है BJP
बोलंगीर संसदीय सीट के राजनीतिक इतिहास पर नजर डालें तो कभी यह सीट कांग्रेस के पास रहती थी, लेकिन बाद में बीजेपी ने पकड़ बनाई, फिर बीजेडी के खाते में यह सीट आ गई. 2019 में बीजेपी को इस सीट पर जीत मिली. 1990 के बाद के 8 बार हुए चुनाव में बीजेपी को 4 बार जीत मिली जिसमें एक हैट्रिक भी शामिल है. 2-2 बार जीत कांग्रेस और बीजेडी को भी मिली.
1991 और 1996 में कांग्रेस के सरत पटनायक को जीत मिली तो 1998 में बीजेपी की संगीता कुमारी सिंह देव ने पार्टी के लिए यहां पर खाता खोला. और 1999 तथा 2004 के चुनाव में जीत हासिल करते हुए हैट्रिक लगाई. फिर बीजेडी के कैलाश नारायण सिंह देव ने 2009 और 2014 के चुनाव में जीत हासिल की. संगीता कुमारी सिंह देव ने कैलाश को 2019 के चुनाव में हैट्रिक लगाने से रोक दिया और बाजी मार ली.
बीजेपी ने फिर से संगीता कुमारी सिंह देव को मैदान में उतारा है जबकि बीजेडी ने अपना उम्मीदवार तय नहीं किया है. हालांकि दोनों दलों के बीच मुकाबला रहा है. 2024 के चुनाव में भी कड़ी टक्कर होने के आसार हैं.