भोंगीर लोकसभा सीट.
तेलंगाना की भोंगीर लोकसभा सीट देश की चुनावी राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान रखती है. 2019 के लोकसभा चुनाव में यहां कांटे का मुकाबला देखने को मिला था. कांग्रेस प्रत्याशी कोमाटिरेड्डी वेंकट रेड्डी ने सिर्फ 5,219 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी. उन्हें 5,32,795 वोट मिले थे. कोमाटिरेड्डी वेंकट रेड्डी ने BRS (भारत राष्ट्र समिति) के उम्मीदवार बुर्रा नरसैया गौड को हराया था. बुर्रा नरसैया को 5,27,576 वोट मिले थे. यहां 2019 के लोकसभा चुनाव में 74.39% मतदान हुआ था.
2024 के लोकसभा चुनाव में भोंगीर के मतदाताओं में खासा उत्साह है. मतदाता लोकतंत्र में वोटों की ताकत दिखाने को तैयार हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव में भोंगीर सीट पर BRS से क्यामा मल्लेश, BJP से बुर्रा नरसैया और कांग्रेस से चमला किरण कुमार रेड्डी मैदान में उतरे हैं.
भोंगीर लोकसभा क्षेत्र तेलंगाना की 17 लोकसभा सीटों में से एक है. इस सीट पर 2019 में कांग्रेस के कोमाटिरेड्डी वेंकट रेड्डी ने चुनाव जीता था. भोंगीर लोकसभा सीट 2008 में अस्तित्व में आई थी. अभी तक इस सीट पर तीन बार चुनाव हो चुके हैं, जिसमें 2009 में कांग्रेस के कोमाटिरेड्डी राज गोपाल रेड्डी, 2014 में BRS के बुर्रा नरसैया और 2019 में कांग्रेस के कोमाटिरेड्डी वेंकट रेड्डी ने चुनाव जीता. दो बार जीत से इस सीट पर कांग्रेस का पलड़ा भारी है. तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद से भोंगीर की दूरी मात्र 47 किलोमीटर है.
हैदराबाद से भोंगीर की दूरी सिर्फ 47 किलोमीटर
भोंगीर यदाद्री भुवनगिरी जिला का मुख्यालय है. इस क्षेत्र का ऐतिहासिक महत्व भी है. यहां का भोंगीर किला पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है. इस किले का निर्माण चालुक्य वंश के शासक त्रिभुवनमल्ला विक्रमादित्य चतुर्थ ने कराया था. यही कारण है कि इस किले का नाम भी उन्हीं के नाम पर पड़ा. इस किलो को ‘त्रिभुवनगिरी किला’ के नाम से जाना जाता है. किले के नाम पर इस लोकसभा क्षेत्र का नाम भी भोंगीर पड़ा. यह क्षेत्र हैदराबाद से सिर्फ 47 किलोमीटर की दूरी पर है.
भोंगीर लोकसभा क्षेत्र में कितनी विधानसभा सीटें?
भोंगीर लोकसभा क्षेत्र में वर्तमान में सात विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं, जिसमें इब्राहिमपत्तनम, मुनुगोडे, भोंगीर, नाकरेकल, थुंगाथुर्थी, एलेयर और जनगांव विधानसभा सीटें हैं. इस लोकसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या करीब 16 लाख है. इसमें 8,08,939 पुरुष वोटर हैं. महिला मतदाताओं की संख्या 8,19,064 है. थर्ड जेंडर के मतदाता 30 हैं. 2019 में कुल 12 लाख 12 हजार 631 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था, जिसमें कुल पुरुष मतदाता 6,16,922 और महिला मतदाता 5,94,332 थीं.
जानें भोंगीर का ऐतिहासिक महत्व
भोंगीर को ‘भुवनगिरि’ के नाम से जाना जाता है. भोंगीर यदाद्री भुवनगिरि जिले का मुख्यालय भी है. साथ ही भोंगीर हैदराबाद महानगर क्षेत्र में भी आता है. भोंगीर की प्रमुख पहचान ‘त्रिभुवनगिरी किला’ से है. इस किले का निर्माण पश्चिमी चालुक्य शासक त्रिभुवनमल्ला विक्रमादित्य चतुर्थ ने कराया था. त्रिभुवनमल्ला विक्रमादित्य चतुर्थ के नाम पर भी इस किले का नाम ‘त्रिभुवनगिरि’ रखा गया. यह नाम धीरे-धीरे भुवनगिरि और बाद में भोंगीर हो गया. यह किला काकतीय रानी रुद्रमादेवी और उनके पोते प्रतापरुद्र के शासन से भी जुड़ा है.
तेलंगाना का चौथा सबसे पुराना शहर है भोंगीर
भुवनगिरि शहर का गठन सन् 1910 में किया गया था. यह तेलंगाना का चौथा सबसे पुराना शहर है. 1952 में भुवनगिरि नगर पालिका का गठन किया गया. हाल ही में तेलंगाना सरकार ने तीन ग्राम पंचायतों का रायगिरी (उत्तर पूर्व), पगड़ीपल्ली (पश्चिम) और बोम्मईपल्ली (दक्षिण) को भुवनगिरी नगर पालिका में विलय कर दिया गया है. अब इस नगर पालिका का क्षेत्र करीब 76 किलोमीटर तक फैल गया है.
साथ ही भगवान यदाद्रि का प्रसिद्ध तीर्थ लक्ष्मी नरसिम्हा स्वामी मंदिर भी भोंगीर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है. इसे यादगिरिगुट्टा मंदिर के रूप में भी जाना जाता है. खास बात यह है कि यह मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है. यदाद्रि मंदिर को तेलंगाना का अपना तिरूपति माना जाता है. साथ ही यह मंदिर विष्णु के अवतार ‘भगवान नरसिम्हा’ को समर्पित है.
10वीं शताब्दी में बनाया गया था भोंगीर का किला
भोंगिर किला पश्चिमी चालुक्य शासक त्रिभुवन मल्ल विक्रमादित्य चतुर्थ द्वारा 10वीं शताब्दी में भोंगिर में एक चट्टानी पहाड़ी पर बनाया गया था. उस समय इसे ‘त्रिभुवनगिरि’ नाम दिया गया था, लेकिन बाद में इसका नाम बदलकर ‘भुवनगिरि’ कर दिया गया और अब इसे भोंगिर कहा जाता है. यह हैदराबाद से लगभग 48 किलोमीटर दूर नलगोंडा जिले में स्थित है. यह किला 40 एकड़ भूमि में फैला हुआ है और एक पहाड़ी पर 500 फीट ऊंचा है. भोंगीर अपनी बीटल पत्तियों, मिट्टी के बर्तनों और वस्त्रों के लिए प्रसिद्ध है.