देश के पूर्वी राज्य ओडिशा में लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा चुनाव भी कराया जा रहा है. राज्य में चुनावी हलचल बनी हुई है. राज्य के खूबसूरत और हरियाली से भरे बालासोर ओडिशा के तटीय जिलों में से एक है. बालासोर लोकसभा सीट के चुनाव परिणाम पिछले 3 चुनाव से अलग ही रहे हैं. 2019 के संसदीय चुनाव में बालासोर सीट पर भारतीय जनता पार्टी को जीत मिली थी. इस बार भी यहां पर कांटेदार मुकाबले के आसार लग रहे हैं.
बालासोर राज्य के सबसे उत्तरी क्षेत्र पर बसा हुआ जिला है. कभी यह प्राचीन कलिंग का हिस्सा हुआ करता था जो बाद में मुकुंद देव की मृत्यु तक तोशल या उत्कल का क्षेत्र बन गया. बालासोर एक अलग जिले के रूप में अक्टूबर 1828 में अस्तित्व में आया. मूल रूप से यह बंगाल प्रेसीडेंसी में था. यह जिला 3,634 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है.
2019 के चुनाव में क्या रहा परिणाम
2011 की जनगणना के अनुसार इस जिले की कुल आबादी 23,17,419 है. यह जिला उत्तरी दिशा में पश्चिम बंगाल के मेदिनीपुर जिले, पूर्व में बंगाल की खाड़ी, दक्षिण में भद्रक जिले और पश्चिमी तरफ मयूरभंज तथा केंदुझार जिलों से घिरा हुआ है. जिले में बालासोर और नीलगिरी 2 सब डिवीजन शामिल हैं. जिले के 12 ब्लॉकों के लिए 12 तहसीलें हैं. जिले के तहत 7 विधानसभा सीटें आती है जिसमें 2 सीट अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व है. 7 में से 4 विधानसभा सीटों पर बीजू जनता दल (BJD) का कब्जा है तो 2 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी और एक सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी को जीत मिली.
2019 के संसदीय चुनाव में बालासोर सीट के चुनाव परिणाम को देखें तो यहां पर बीजेपी के प्रताप चंद्र सारंगी को जीत मिली थी. चुनाव में प्रताप चंद्र सारंगी को 483,858 वोट मिले तो बीजू जनता दल के रबिंद्र कुमार जेना के खाते में 470,902 वोट आए. कांग्रेस के नवज्योति पटनायक ने भी शानदार प्रदर्शन किया और 179,403 वोट हासिल कर मुकाबले में कांटेदार कर दिया. प्रताप चंद्र सारंगी को महज 12,956 मतों के अंतर से जीत मिली.
बालासोर संसदीय सीट का राजनीतिक इतिहास
तब के चुनाव में बालासोर सीट पर कुल वोटर्स की संख्या 14,71,650 वोटर्स थे जिसमें पुरुष वोटर्स की संख्या 7,58,284 थी तो महिला वोटर्स की संख्या 7,13,297 थी. इसमें से कुल 11,57,871 वोटर्स ने वोट डाले. NOTA के पक्ष में कुल 7,436 वोट पड़े थे.
बालासोर संसदीय सीट के राजनीतिक इतिहास को देखें तो शुरुआती दौर में कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया को जीत मिलती रही है. लेकिन 1990 के बाद यहां पर समीकरण थोड़ा बदल गया. 1991 में कांग्रेस के कार्तिक मोहपात्रा को जीत मिली. वह 1996 में फिर से विजयी हुए. 1998 में बीजेपी ने इस सीट से जीत का खाता खोला. खरबेला स्वैन ने 1998 के बाद 1999 और 2004 के चुनाव में जीत हासिल करते हुए जीत की हैट्रिक भी लगाई.
हालांकि 2009 के चुनाव में 3 बार के सांसद खरबेला स्वैन को हार का सामना करना पड़ा. कांग्रेस के श्रीकांत कुमार जेना ने इस बार यहां से जीत हासिल की. 2014 के चुनाव में बीजू जनता दल का यहां से खाता खुला. रबिंद्र कुमार जेना यहां से सांसद चुने गए. 2019 के चुनाव में यह सीट फिर से बीजेपी के खाते में आ गई.
खूबसूरत समुद्री तटों से लबरेज बालासोर
बालासोर जिला अपनी धान की खेती के लिए जाना जाता है. चावल स्थानीय लोगों का मुख्य अनाज है. यहां पर उद्योग, कृषि, मत्स्य पालन और पर्यटन राजस्व के चार प्रमुख स्रोत हैं. बिड़ला टायर्स, बालासोर अलॉयज लिमिटेड, इमामी पेपर मिल्स लिमिटेड और पोलर फार्मा इंडिया लिमिटेड इस जिले में काम करने वाले कुछ बड़े पैमाने के उद्योग हैं.
यहां पर कई खूबसूरत समुद्री तट हैं और कई मंदिर स्थानीय तथा बाहरी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं. चांदीपुर, तलसारी समुद्र तट, चौमुख समुद्र तट, काशाफल समुद्र तट जिले के प्रसिद्ध समुद्री तट हैं. लंगलेश्वर, पंचलिंगेश्वर, खिरोचोरा गोपीनाथ, लक्ष्मणनाथ, चंदनेश्वर, मणिनागेश्वर जैसे मंदिर आकर्षण का केंद्र हैं.