बांदा से पहले पंजाब जेल में बंद थे मुख्तार अंसारी.
मुख्तार अंसारी 2005 में मऊ दंगों का आरोपी बना, और तभी से जेल में बंद था. जिस के बाद अब पूरे 18 साल 5 महीने बाद मुख्तार अंसारी ताबूत में घर लौटा. शुक्रवार आधी रात करीब 1:15 पर माफिया मुख्तार अंसारी को ताबूत में उनके घर मोहम्मदाबाद पहुंचा गया.
मुख्तार जहां किसी के लिए माफिया था तो कहीं किसी के लिए मासीहा था. यहीं वजह है कि मुख्तार के घर के बाहर लोगों की भीड़ लग गई. लोग घर के बाहर कई घंटे से खड़े होकर मुख्तार के शव का इंतजार कर रहे थे. उनके अंतिम दर्शन के लिए लोग लंबी लाइन लगा कर खड़े रहे. परिजनों के मुताबिक आज यानि शनिवार सुबह 10:00 बजे जनाजे की नमाज पढ़ी जाएगी फिर कालीबाग कब्रिस्तान में मुख्तार को सुपुर्द-ए- खाक किया जाएगा.
सुरक्षा के कड़े इंतजाम
बांदा मेडिकल कॉलेज से पोस्टमार्टम के बाद एंबुलेंस से मुख्तार के शव को शुक्रवार शाम करीब 4:45 बजे गाजीपुर के लिए रवाना किया गया. सुरक्षा के कड़े इंतजाम के साथ बांदा से गाजीपुर की दूरी करीब 8 घंटा 32 मिनट में तय की गई. मुख्तार अंसारी की मौत गुरुवार की रात बांदा मेडिकल कॉलेज में हार्टअटैक से हुई थी. मुख्तार के छोटे बेटे उमर अंसारी और बड़ी बहू निकहत अंसारी बांदा में शव वाहन के साथ आये, मुख्तार के बड़े भाई सिबगतुल्लाह अंसारी ने बताया कि बांदा में मुख्तार की लाश देर से मिली इसलिए उन्हें शुक्रवार को ही दफनाया नहीं जा सका.आज सुबह जनाजे की नमाज के बाद मुख्तार को दफनाया जाएगा.
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परिवार ने लगाया स्लो पॉइजन का आरोप
मुख्तार अंसारी की मौत के बाद उनके परिवार ने आरोप लगाया है कि मुख्तार की मौत प्राकृतिक नहीं, सुनियोजित है. एक इंटरव्यू में मुख्तार के बेटे उमर ने कहा कि हमें शक नहीं यकीन है कि ये प्राकृतिक नहीं सुनियोजित मौत है. साथ ही उन्होनें कहा कि हम एक-दो दिन के बाद जांच के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे. इस के अलावा मुख्तार की तबीयत मौत से पिछले 8 दिनों में जिन दिनों बिगड़ी उन दिनों मुख्तार ने खुद आरोप लगाया था कि उसको जेल में स्लो पॉइजन दिया जा रहा है.