सैफ अली खान को हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में आए तीन दशक से ज्यादा का वक्त हो गया है. उन्होंने 1993 में आई फिल्म परम्परा से हिंदी सिनेमा में कदम रखा. हालांकि इंडस्ट्री में पैर जमाना उनके लिए आसान नहीं था. शुरुआती सालों में उन्हें आमिर खान, शाहरुख खान, अक्षय कुमार, गोविंदा, सुनील शेट्टी, सलमान खान जैसे सितारों के स्टारडम का सामना करना पड़ा. फिर साल 2001 में सैफ अली खान फरहान अख्तर के निर्देशन में बनी फिल्म दिल चाहता है में नज़र आए. इस फिल्म के बाद सैफ का करियर अलग ही ऊंचाई पर पहुंच गया.
दिल चाहता है में सैफ अली खान लीड रोल में नहीं थे. फिल्म में आमिर खान, प्रीति जिंटा, डिंपल कपाड़िया और अक्षय खन्ना जैसे कलाकार पहले से मौजूद थे. लंबी स्टारकास्ट और फिल्म में छोटा रोल होने की वजह से सैफ शुरुआत में इस फिल्म को नहीं करना चाहते थे. शुरुआत में जब उन्हें फिल्म ऑफर हुई तो उन्होंने इसे करने से इनकार कर दिया था.
एक इंटरव्यू में सैफ अली खान ने दिल चाहता है करने से इनकार करने पर कहा था, “सेकंड हाफ में मेरा रोल बहुत कम था, इसलिए मैंने मना कर दिया था. डिंपल ने मुझसे अपने फैसले पर दोबारा विचार करने को कहा था. जावेद अख्तर साब ने मुझे भरोसा दिलाया था कि वो चीज़ो को देखेंगे.
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हालांकि जब फिल्म रिलीज़ हुई और उनके रोल को खूब पसंद किया जाने लगा तब उन्हें अपने फैसला गलत लगने लगा. उन्होंने कहा था, “मुझे एहसास हुआ कि रोल की लंबाई महत्वपूर्ण नहीं है. मैंने रेस्टोरेंट और कार वाले दो सीन की वजह से फिल्म के लिए हां किया था. मुझे पता था कि समीर को भुलाया नहीं जा सकेगा. मैंने बहुत कड़ी मेहनत की. मुझे जैसा रिस्पॉन्स मिला, जैसा मैंने सोचा भी नहीं था.”
इंटरव्यू के दौरान सैफ अली खान ने कहा था कि जब उन्हें हर तरफ से तारीफें मिल रही थीं तो उन्हें ऐसा महसूस हो रहा था कि उन्होंने ऑस्कर जीत लिया है. सैफ को वो लोग भी फोन करने लगे थे जो सालों से दूरी बनाए हुए थे. उन्होंने कहा कि जब लोग आपकी तारीफ करते हैं तो अच्छा लगता है.