मध्य प्रदेश की जीवनदायिनी नदी बेतवा के किनारे पर बसा यह शहर खूबसूरत घाटों से सजा हुआ है. इस शहर की पहचान के लिए सिर्फ इतना बता देना काफी है कि प्रसिद्ध सांची के स्तूप इसी क्षेत्र में हैं जिसे देखने के लिए देश दुनिया के लाखों लोग यहां आते हैं. सांची स्तूप को मध्य प्रदेश की अहम पहचानों में शामिल किया जाता है. इन्हें सम्राट अशोक ने बनवाया था. इसके अलावा इस क्षेत्र में और भी ऐसी ऐतिहासिक धरोहर हैं जिन्हे देखने के बाद लोग भूल नहीं पाते.
विदिशा के पास ही उदयगिरी की गुफाएं हैं जिन्हें एक पहाड़ के अंदर पत्थरों को तराशकर बनाया गया है. इन गुफाओं में सुंदर मूर्तियां भी पहाड़ के पत्थरों को तराश कर बनाई गई हैं, मंदिर के खंभे और सभी कलाकृतियां उसी पहाड़ के पत्थर को तराशकर बनाई गई हैं जो कि देखने में बेहद सुंदर हैं. इसके अलावा बासौदा में भगवान शिव का अति प्रचीन मंदिर है जिसका नाम है नीलकंठेश्वर मंदिर. यह इस क्षेत्र के प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं.
कई दिग्गज लड़ चुके चुनाव
इस लोकसभा सीट का निर्वाचन 1967 में किया गया था. इस सीट को पूरे प्रदेश की राजनीति में शिवराज सिंह चौहान के नाम से जाना जाता है. यहां से शिवराज सिंह चौहान ने शुरुआती दिनों में कई बार चुनाव लड़ा और लोकसभा का रास्ता तय किया, लेकिन जब उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया तो शिवराज सिंह चौहान के बाद यहां से नेता प्रतिपक्ष और मोदी सरकार में विदेश मंत्री रहीं सुषमा स्वराज ने चुनाव लड़ा था और शानदार जीत दर्ज की थी. मध्य प्रदेश की इस लोकसभा सीट से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी चुनाव लड़ चुके हैं. इनके अलावा मध्य प्रदेश के वित्त मंत्री रहे राघव जी भी यहां से लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं.
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राजनीति ताना-बाना
विदिशा लोकसभा में आठ विधानसभाएं हैं जिनमें भोजपुर, सांची, सिलवानी, विदिशा, बासौदा, बुधनी, इच्छावर और खाटेगांव शामिल हैं. विदिशा लोकसभा सीट को रायसेन, विदिशा, सीहोर और देवास जिले के हिस्सों को शामिल किया गया है. विधानसभाओं की बात की जाए तो सिर्फ सिलवानी को छोड़कर सभी पर फिलहाल बीजेपी का कब्जा है. मध्य प्रदेश में लंबे वक्त तक मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान बुधनी से चुनाव लड़ते हैं. 1991 से लेकर 2004 तक के लोकसभा चुनावों-उपचुनावों में यहां से शिवराज सिंह चौहान ने जीत हासिल की है. उससे ठीक पहले यहां से अटल बिहारी वाजपेयी ने चुनाव लड़ा था.
पिछले चुनाव में क्या हुआ?
2019 के चुनाव की बात की जाए तो इस लोकसभा सीट से बीजेपी ने रमाकांत भार्गव को चुनावी मैदान में उतारा था, जबकि कांग्रेस ने शैलेंद्र पटेल पर विश्वास दिखाया था. बीजेपी के रमाकांत ने करीब 5 लाख वोटों के भारी-भरकम अंतर से शैलेंद्र पटेल को पराजित किया था. इससे पहले 2014 में जब सुषमा स्वराज ने यहां से चुनाव लड़ा था तो उस वक्त भी जीत का अंतर करीब 4 लाख वोटों का रहा था. सुषमा स्वराज ने यहां से लक्ष्मण सिंह को हराया था.