बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन ने 1984 का आम चुनाव इलाहाबाद से जीता था.
भारत में राजनीति फिल्मी सितारों को भी खूब आकर्षित करती रही है. दक्षिण भारत के कलाकारों के राजनीति में उतरने से इसकी शुरुआत हुई थी और यह सिलसिला आज तक जारी है. इसमें कई सितारे सफल हुए तो कुछ ने समय के साथ राजनीति से दूरी बना ली. इन्हीं में से एक हैं गोविंदा. वह साल 2004 में सांसद का चुनाव जीते थे पर 2009 में राजनीति से दूरी बना ली थी. अब वह एक बार फिर एकनाथ शिंदे की शिव सेना से जुड़ गए हैं. चर्चा है कि उन्हें मुंबई की किसी लोकसभा सीट से मैदान में उतारा जाएगा. इससे पहले भाजपा ने हिमाचल प्रदेश के मंडी से कंगना रनौत को चुनाव मैदान में उतार दिया है.
लोकसभा चुनाव के बहाने आइए जान लेते हैं कि और किन-किन सितारों ने राजनीति में अपनी किस्मत आजमाई? कितने रहे सफल और किसने कर ली तौबा?
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एमजी रामचंद्रन से मानी जाती है शुरुआत
राजनीति में सितारों के आने की शुरुआत दक्षिण में तमिल फिल्मों के सुपरस्टार एमजी रामचंद्रन से मानी जाती है. फिल्मों में तो उनकी सफलता लोगों के सिर चढ़कर बोलती ही थी, राजनीति में आए तो मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे और लंबी पारी खेली. ऐसे ही दक्षिण की 300 से ज्यादा फिल्मों में काम कर चुके एनटी रामाराव ने राजनीति में लंबी पारी खेली थी. उन्होंने साल 1982 में तेलुगु देशम पार्टी की स्थापना की और आंध्र प्रदेश के 10वें मुख्यमंत्री बने. साल 1983 से 1994 के बीच वह तीन बार मुख्यमंत्री रहे.
दक्षिण के सितारों में एक और बड़ा नाम है जे जयललिता का. साल 1977 में तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री एमजी रामचंद्रन उनको राजनीति में लाए तो उन्होंने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा. 24 जून 1991 को वह पहली बार मुख्यमंत्री बनी थीं और 6 बार शपथ लीं. चिरंजीवी ने भी फिल्मों के राजनीति में हाथ आजमाया था.
दक्षिण में सितारों के राजनीति में आने की गहरी परंपरा
तमिल फिल्मों के सुपरस्टार विजयकांत हों या फिर स्क्रिप्ट राइटर करुणानिधि, सबने राजनीति में मुकाम हासिल किया था. दक्षिण में भगवान के रूप में पूजे जाने वाले रजनीकांत ने 2017 में राजनीति में कदम रखा पर उनका यह सफर 26 दिन में ही खत्म हो गया. अपनी बनाई पार्टी भी उन्होंने 2021 में भंग कर दी. कमल हसन ने 2018 में मक्कल निधि मय्यम नाम से राजनीतिक पार्टी बनाई थी. साउथ के स्टार पवन कल्याण, सुरेश गोपी भी राजनीति में अपनी किस्मत आजमा चुके हैं. सुपरस्टार थलापति विजय ने हाल ही में राजनीतिक पार्टी तमिझगा वेत्री कड़गम की स्थापना की है.
पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना से लेकर महानायक अमिताभ बच्चन तक
बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन ने राजीव गांधी के कहने पर 1984 का आम चुनाव इलाहाबाद से जीता था. हालांकि, फिल्मों में व्यस्त रहने के कारण अमिताभ राजनीति से दूर होते गए और 1987 में राजनीति से संन्यास ले लिया था. हालांकि, उनकी पत्नी जया बच्चन साल 2004 से ही लगातार राज्यसभा सांसद और सपा की नेता हैं. राजनीति में बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना भी आए और 1991 का लोकसभा चुनाव सीधे लालकृष्ण आडवाणी के खिलाफ लड़ा था. इसमें तो हार गए पर 1992 में उसी दिल्ली सीट से कांग्रेस के टिकट पर उप चुनाव जीत लिया था. तब उनके खिलाफ शत्रुघ्न सिन्हा भाजपा के उम्मीदवार थे. शत्रुघ्न सिन्हा 33 सालों से राजनीति में सक्रिय हैं और फिलहाल पश्चिम बंगाल की आसनसोल सीट से टीएमसी के टिकट पर लड़कर संसद पहुंचे.
(1984) Amitabh Bachchan attends Parliament after winning the Lok Sabha election from Allahabad.@SrBachchan pic.twitter.com/ls6FP2Mld6
— Film History Pics (@FilmHistoryPic) January 26, 2020
धर्मेंद्र ने छोड़ी राजनीति, हेमा मालिनी का कारवां बढ़ता गया
धर्मेंद्र ने भी साल 2004 में राजस्थान की बीकानेर सीट से भाजपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीता था. पर बाद में कोई और चुनाव नहीं लड़ा. उन्होंने 2008 में राजनीति छोड़ दी थी. साल 2019 में उनके बेटे सनी देओल भी भाजपा के ही टिकट पर पंजाब की गुरदासपुर लोकसभा सीट से जीते थे. हालांकि अब उनकी दिलचस्पी राजनीति में नहीं है. हेमामालिनी जरूर लंबे समय से राजनीति में सक्रिय हैं और मथुरा की सांसद ड्रीम गर्ल इस बार भी चुनाव मैदान में हैं.
फिल्मों के साथ राजनीति में भी इन्होंने खेली लंबी पारी
राजनीति में विनोद खन्ना ने लंबी पारी खेली. 1997 में भाजपा से जुड़े और गुरदासपुर से सांसद बने. जुलाई 2002 में केंद्र में संस्कृति और पर्यटन मंत्री बने. 2003 में विदेश राज्य मंत्री बने. इस बार भाजपा ने उनकी पत्नी कविता खन्ना को गुरदासपुर से टिकट देने का प्रस्ताव रखा है. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के बड़े नेताओं में राज बब्बर का नाम लिया जाता है. वह दो बार राज्यसभा और तीन बार लोकसभा सांसद रहे हैं. जया प्रदा ने एनटी रामाराव की पार्टी तेलुगु देशम से राजनीतिक करियर शुरू किया था. फिर उत्तर भारत की राजनीति में सपा के जरिए कदम रखा. 2019 में वह भाजपा में शामिल हो गई थीं.
राजीव के कहने पर कांग्रेस में आए सुनील दत्त केंद्र में मंत्री रहे
सुनील दत्त और राजीव गांधी में गहरी दोस्ती थी. उनके कहने पर ही दत्त राजनीति में आए और पांच बार सांसद चुने गए. साल 2004 में उन्हें केंद्र में युवा और खेल मंत्रालय का मंत्री भी बनाया गया था. इनके अलावा परेश रावल, मिथुन चक्रवर्ती, प्रकाश राज, शबाना आजमी भी राजनीति में सक्रिय हैं. उर्मिला मातोंडकर ने भी साल 2019 में राजनीति में कदम रखा और कांग्रेस की तरफ से लोकसभा चुनाव लड़ीं. उनको भाजपा के गोपाल शेट्टी ने हरा दिया था. इसके कुछ महीने बाद ही वह शिवसेना में शामिल हो गई थीं.
भोजपुरी फिल्मों के स्टार मनोज तिवारी, रवि किशन, निरहुआ भी भाजपा के टिकट पर संसद में दस्तक दे चुके हैं. इस तरह कहा जा सकता है कि फ़िल्म और राजनीति का आपस में गहरा नाता है.
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