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Saturday, September 7, 2024
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बीजेपी का अभेद्य किला है सागर लोकसभा, 28 सालों से कांग्रेस को मिली सिर्फ हार | Lok Sabha Election 2024 Sagar constituency Seat BJP Congress stwn


सागर लोकसभा सीट मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड की सबसे अहम सीटों में से एक है, सागर को प्रदेश के बुंदेलखंड की राजधानी भी कहा जाता है. प्राकृतिक रूप से बेहद सुंदर इस शहर के आस-पास 5 नदिया भी हैं जिनमें धसान, बेतवा, सुनार, बेबस और बामनेर नदियां शामिल हैं. प्राकृतिक रूप से सुंदर सागर शहर की राजनीति फिलहाल बीजेपी के ईर्द-गिर्द ही घूमती हुई दिखाई देती है. 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव में यहां से बीजेपी के उम्मीदवारों ने ही शानदार जीत दर्ज की थी. सागर लोकसभा में कुल 17,32,755 मतदाता हैं.

सागर की राजनीति की बात की जाए तो यहां किसी उम्मीदवार का नहीं बल्कि पार्टी का वर्चस्व ज्यादा है. इस क्षेत्र में बीजेपी के कई बड़े नेता हैं जो अपनी-अपनी विधानसभा सीट पर पिछले कई चुनाव से लगातार जीत दर्ज कर रहे हैं. इनमें भूपेंद्र सिंह, शैलेंद्र जैन, गोपाल भार्गव जैसे कई बड़े नाम शामिल हैं. सागर जिले को भी 8 विधानसभाओं से मिलाकर बनाया गया है जिसमें बीना, खुरई, सुरखी, नरयावली, सागर के साथ-साथ विदिशा जिले की कुरवाई, सिरोंज और शमशाबाद शामिल हैं.

सागर में दर्शनीय और धार्मिक स्थलों की बात की जाए तो यहां पर कई धार्मिक स्थल हैं जो कि लाखों श्रद्धालुओं के लिए विशेष आस्था का केंद्र हैं. जिनमें गढ़पहरा का अति प्रचीन हनुमान मंदिर, रानगिर में हरसिद्धि माता मंदिर बहुत फेमस है. इसके अलावा राहतगढ़ में बीना नदी पर बना राहतगढ़ वॉटरफॉल, सागर की लाखा बंजारा झील, नौरादेही वन्य जीव अभ्यारण्य, ऐरण जैसी जगहे भी दर्शनीय हैं. ऐरण में महाभारत कालीन कई चिन्ह आज भी देखने को मिलते हैं. यहां पर ऐरण महोत्सव का आयोजन भी किया जाता है.

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बदलती रही जनता की राय

सागर जिले की सभी विधानसभाओं में सिर्फ बीना को छोड़कर बीजेपी ने अपनी जीत का परचम फहराया है. बता दें कि इस लोकसभा सीट पर सबसे पहले 1952 में लोकसभा चुनाव हुए थे, पहले तीन लोकसभा चुनाव में यहां से कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी. इसके बाद 1967 में भारतीय जनसंघ से चुनाव लड़कर रामसिंह आयरवाल ने चुनाव जीता था. देश की राजनीति में बड़ा नाम सहोद्राबाई राय ने भी यहां से चुनाव लड़ा है. 1991 के चुनाव के पहले तक यहां पर जनता ने किसी एक पार्टी को ज्यादा दिनों तक नहीं रहने दिया लेकिन, 1996 के चुनाव के बाद से यहां सिर्फ बीजेपी ही काबिज है.

पिछले चुनाव में क्या?

2019 के चुनाव की बात की जाए तो यहां से बीजेपी के टिकट पर राजबहादुर सिंह ने चुनाव लड़ा, जबकि कांग्रेस ने प्रभु सिंह ठाकुर को उनके सामने मैदान में उतारा. प्रभु सिंह ठाकुर की बात की जाए तो उन्हें लंबे समय तक एक्टिव राजनीति के अनुभव रहे हैं, हालांकि मोदी लहर की वजह से इस चुनाव में उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा था. राजबहादुर सिंह ने करीब 3 लाख वोटों के भारी-भरकम अंतर से प्रभु सिंह को हराया था और जीत दर्ज की थी. इससे पहले 2014 में बीजेपी से लक्ष्मीनारायण यादव ने चुनाव लड़ा और कांग्रेस ने गोविंद सिंह को मौका दिया था. इस चुनाव में भी बीजेपी ने जीत दर्ज की थी हालांकि कांग्रेस की हार का अंतर करीब एक लाख 20 हजार वोट्स का था.



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