बागी-बीहड़ और चंबल से पूरे देश में अपनी अलग और अनोखी पहचान बनाने वाली मुरैना लोकसभा सीट मध्य प्रदेश के उत्तरी छोर पर स्थित है. मुरैना लोकसभा को दो जिलों से मिलाकर बनाया गया है जिसमें मुरैना और श्योपुर जिले को शामिल किया गया है. इस लोकसभा सीट को भी आठ विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर बनाया गया है. जिसमें श्योपुर, विजयपुर, सबलगढ़, जौरा, सुमावली, मुरैना, दिमानी और अंबाह शामिल हैं. इनमें से सिर्फ 3 पर बीजेपी काबिज हैं वहीं 5 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा जमा रखा है.
मुरैना लोकसभा की बात की जाए तो यहां पर कई दर्शनीय स्थल भी हैं जहां हर साल हजारों सैलानी पहुंचते हैं. यहां सिहोनिया, पहाड़गढ़, मीतावली, नूराबाद, सबलगढ़ का किला ऐतिहासिक धरोहरों को संभाले हुए हैं. वहीं चंबल नदी की बात की जाए तो यह नदी पूरे देश में मगरमच्छों के लिए विख्यात है. इसी वजह से मुरैना में चंबल सेंचुरी बनाई गई है. जो कि सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करती है. मुरैना और श्योपुर जिले की बात की जाए तो ये दोनों ही जिले एक दूसरे से स्वाभाव में पूरी तरह से उलट हैं.
मुरैना में जहां ब्रज भाषा का टच मिलता है, वहीं श्योपुर में हड़ैती बोली का जोर है. यहां के खान-पीन से लेकर बोलचाल तक बहुत अंतर है. बावजूद इसके दोनों ही जिलों की राजनीति केंद्र में एक साथ चलती है. चंबल के घाट और बीहड़ों का खौफ एक वक्त ऐसा था कि यहां चुनाव भी आसानी से नहीं हो पाते थे. यहां के बागी आए दिन किसी न किसी वारदात को अंजाम दिया करते थे. हालांकि पिछले करीब 15 सालों में इस स्थिति में बहुत सुधार देखने को मिला है.
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राजनीतिक ताना-बाना
मुरैना लोकसभा सीट की बात की जाए तो यहां से आखिरी बार कांग्रेस ने 1991 में जीत दर्ज की थी. इस दौरान यहां से बारेलाल जाटव ने चुनाव लड़ा था. इसके बाद यहां से 1996 में अशोक अर्गल को बीजेपी ने मौका दिया और वह जीत गए. बस इसी जीत के बाद से मुरैना लोकसभा पर बीजेपी काबिज है. इसके बाद कांग्रेस ने इस लोकसभा सीट से जीत का सेहरा नहीं बांधा. अशोक अर्गल इस क्षेत्र के जाने-माने नेता हैं. इस क्षेत्र से अशोक अर्गल ने लगातार चार बार लोकसभा चुनाव जीता. इसके बाद यहां से नरेंद्र सिंह तोमर ने चुनाव लड़ा. 1996 से लेकर 2019 तक बीजेपी ने लगातार जीत दर्ज की है.
पिछले चुनाव में क्या रहा?
मुरैना लोकसभा सीट पर 2019 के लोकसभा चुनाव की बात की जाए तो यहां बीजेपी ने अपने कद्दावर नेता नरेंद्र सिंह तोमर को मैदान में उतारा था. वहीं कांग्रेस ने राम निवास रावत को टिकट दिया था. इस चुनाव में नरेंद्र सिंह तोमर को करीब 5.41 लाख वोट मिले थे और राम निवास को 4.28 लाख वोट मिले थे. बता दें कि इस सीट पर तीसरे नंबर पर बीएसपी पार्टी भी है जिसका वोटबैंक अच्छा खासा है. 2019 के चुनाव में बीएसपी के करतार सिंह भड़ाना को 1.29 लाख वोट मिले थे. इस चुनाव में नरेंद्र सिंह तोमर ने करीबी प्रतिद्वंद्वी को 1.13 लाख वोटों के भारी-भरकम अंतर से हराया था.