परेशानी का सामना कर रही टाटाImage Credit source: Unsplash
अगर आप किसी आम भारतीय नागरिक से पूछें कि क्या टाटा ग्रुप भी कोई गलती कर सकता है? तो उसका सीधा जवाब ‘ना’ में होगा. इस बीच अमेरिका से ऐसी खबर आना कि टाटा ग्रुप की एक कंपनी वहां एम्प्लॉइज के साथ भेदभाव कर रही है. अमेरिकी एम्प्लॉइज को हटाकर उनकी जगह भारतीयों को नौकरी दे रही है. क्या इसमें कोई सच्चाई है? चलिए जानते हैं…
ये मामला टाटा ग्रुप की आईटी कंपनी ‘टाटा कंसल्टेंस सर्विसेस’ से जुड़ा है. ये कंपनी दुनिया के कई देशों में कारोबार करने वाली सॉफ्टवेयर कंपनी है. अमेरिका की एच-1बी वीजा पॉलिसी की मदद से इसने अमेरिका में भी अपने बिजनेस का विस्तार किया है.
क्या है अमेरिकी लोगों की शिकायत?
टीसीएस में काम करने वाले अमेरिकी एम्प्लॉइज का आरोप है कि टीसीएस उन्हें शॉर्ट नोटिस पर जॉब से निकाल रही है और उनकी जगह पर एच-1बी वीजा की मदद से कम सैलरी पर काम करने वाले भारतीयों को नौकरी दे रही है. वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक खबर के मुताबिक दिसंबर से अब तक करीब 22 अमेरिकी वर्कर्स ने ‘इक्वल एम्पलॉयमेंट अपॉर्चुनिटी कमीशन’ (EEOC) के सामने टीसीएस के खिलाफ नस्लभेद और उम्र के आधार पर भेदभाव करने की शिकायत दर्ज कराई है.
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ईटी की खबर के मुताबिक अमेरिका में ईईओसी की जिम्मेदारी है कि वह एम्प्लॉइज या जॉब एप्लिकेंट्स के साथ नस्ल, रंग, धर्म, लिंग, उम्र, अपंगता या जेनेटिक्स के आधार पर भेदभाव होने से रोक लगाए.
टाटा ने बताई कहानी की सच्चाई
अमेरिकियों के इन आरोपों पर टीसीएस के प्रवक्ता की ओर से साफ किया गया है कि कंपनी के खिलाफ अवैध भेदभाव के आरोपों में कोई मेरिट नहीं है और ये भ्रामक हैं. टीसीएस का अमेरिका में लोगों को रोजगार के समान अवसर उपलब्ध कराने का शानदार रिकॉर्ड रहा है.
वैसे टीसीएस की इस बात में दम नजर आती है, क्योंकि भारत में भी टाटा ग्रुप की छवि काफी ‘एम्प्लॉई फ्रेंडली’ और समान अवसर उपलब्ध कराने वाली कंपनी के तौर की है. टाटा ग्रुप की कई कपंनियों में कर्मचारियों को काम करने के लिए बेहतर माहौल मिलता है और इसके लिए उसे कई अवार्ड भी मिल चुके हैं.