निलेश लंके
लोकसभा चुनाव में नेताओं का दल बदलना अभी भी जारी है. हाल ही में अजीत पवार गुट को एक और झटके का सामना करना पड़ा है. अजीत पवार गुट के विधायक निलेश लंके ने शरद पवार के ग्रुप में शामिल होने के लिए अपने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया है. निलेश लंके महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के पारनेर से विधायक हैं.
लोकसभा चुनाव की तारीख की घोषणा होने से पहले नेताओं ने पार्टी बदलना शुरू कर दिया था, लेकिन तारीख के ऐलान के बाद से इसमें और भी तेजी आ गई है. एनसीपी के अजित पवार गुट के विधायक निलेश लंके ने चुनाव लड़ने के लिए विधायक पद का इस्तीफा देकर शरद पवार के ग्रुप में शामिल हो गए हैं. इस्तीफा देने के बाद से अब उनका शरद पवार के ग्रुप से बीजेपी के उम्मीदवार सुजय विखे पाटिल के खिलाफ चुनाव लड़ना लगभग तय है. पार्टी छोड़ने के साथ ही निलेश ने बीजेपी नेता राधा विखे पाटिल पर खुद को परेशान करने का आरोप भी लगाया है.
इस्तीफा की बात करते समय हुए भावुक
हालांकि महाविकास आघाडी की तरफ से अभी तक अहमदनगर दक्षिण लोकसभा चुनाव के लिये निलेश लंके का नाम अधिकारिक तौर घोषित नहीं किया गया है लेकिन सूत्रों की मानें तो उन्हें MVA के संभावित उम्मीदवार के रूप में देखा जा रहा है. एक सूत्र के मुताबिक बताया गया है कि उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने के लिए शरद पवार ने निलेश को भरोसा दिलाया है. लोकसभा चुनाव के मद्देनजर 29 मार्च को सुपे में कार्यकर्ताओं की सभा में विधायक निलेश लंके ने अपनी स्थिति साफ कर दी. उन्होंने कहा कि वह विधायक के रूप में अपना इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष को भेज रहे हैं. अगर हमें यहां के सर्वशक्तिमान शासकों को पराजित करना है तो पहले हमें एक कड़वा निर्णय लेना होगा. उन्होंने कहा कि विधायक पद से इस्तीफा देते समय मुझे बहुत दुख हो रहा है. जनता मुझे माफ कर दे. इस दौरान निलेश लंके काफी भावुक नजर आए.
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अभिमन्यु से की अपनी तुलना
दरअसल, पहले निर्वाचन क्षेत्र में निलेश लंके की पत्नी रानी ताई शेल्के के बारे में भी काफी चर्चा की जा रही थी, बताया जा रहा था कि वह इस बार लोकसभा से चुनाव लड़ सकती हैं. इसके बाद से लंके के सामने शरद पवार ने एक शर्त रखी, जिसमें शरद पवार ने उन्हें चुनाव लड़ने को कहा. निलेश के लोकसभा चुनाव लड़ने में उनकी विधायक की सीट बाधा बन रही थी, जिसकी वजह से उन्होंने अपना कार्यकाल खत्म होने से पहले ही इस्तीफा दे दिया. निलेश ने अपनी तुलना अभिमन्यु से करते हुए कहा कि अभी हम बवंडर में फंसे हुए हैं और इस वक्त हम कानूनी पचड़े में नहीं पड़ना चाहते हैं. आपने मुझे पांच साल के लिए चुना लेकिन अब साढ़े चार साल हो गए हैं, लेकिन आपसे पूछे बिना मैं कोई निर्णय नहीं ले सकता. कार्यकाल खत्म होने से पहले इस्तीफा देने के लिए मुझे माफ कर दीजिए.