वडोदरा में पिछले सात चुनाव से जीत दर्ज कर रही है बीजेपी
2014 लोकसभा चुनावों में गुजरात का वडोदरा लोकसभा सीट खूब चर्चा में रहा था. तब पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे नरेंद्र मोदी ने बनारस के साथ यहां से चुनाव लड़ा था और जीत दर्ज की थी. एकबार फिर वडोदरा यहां के बीजेपी उम्मीदवार के टिकट वापसी को लेकर चर्चा में है. गुजरात का वडोदरा (बड़ौदा) पहले कांग्रेस पार्टी का किला था बाद में यह बीजेपी का गढ़ बन गया है. बीजेपी 1998 से लगातार यहां जीत दर्ज कर रही है. भारतीय जनता पार्टी पिछले सात बार से लगातार जीत दर्ज कर रही है. 2019 में यहां रंजनबेन भट्ट ने जीत दर्ज की है ये उनकी लगातार दूसरी जीत है. 2019 में रंजनबेन भट्ट ने कांग्रेस के प्रशांत चंदूभाई पटेल को हराया था.
रंजनबेन भट्ट ने यहां एकतरफा जीत दर्ज की थी उन्हें यहां 72.3% वोट मिले थे जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंदी प्रशांत चंदूभाई पटेल को 24.1% वोट ही मिले. यहां तीसरे स्थान पर रहे बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार को एक प्रतिशत वोट भी नहीं मिला
2019 में पांच लाख से ज्यादा वोटों से जीत
2019 में बीजेपी के रंजनबेन भट्ट ने प्रशांत चंदूभाई पटेल को 5,89,177 वोटों से हराया था. बीजेपी के रंजनबेन भट्ट को जहां 883,719 वोट मिले वहीं कांग्रेस के चंदूभाई पटेल को 294,542,तीसरे स्थान पर रहे बीएसपी के रोहित मधुसूदन मोहनभाई को 7,458 वोट मिले. चौथे स्थान पर रहे निर्दलीय सिंधी महेबुबखान यूसुफखान को 4,457 वोट जबकि पांचवे स्थान पर युवा जन जागृति पार्टी गोहिल रिंकू को 3,811 वोट ही मिले. इससे पहले 2014 में हुए उपचुनाव में बीजेपी के रंजनबेन धनंजय भट्ट ने नरेन्द्र अम्बालाल रावत को 3,29,507 वोटों से हराया था.
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2014 में नरेंद्र मोदी की जीत
2014 में वडोदरा से नरेंद्र मोदी ने जीत दर्ज की थी. नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस के मधुसूदन मिस्त्री को 5,70,128 वोटों से हराया था. 2014 में आम आदमी पार्टी के सुनील दिगंबर कुलकर्णी तीसरे स्थान पर रहे थे उन्हें तब महज 10,101 वोट ही मिले थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बडोदरा के साथ बनारस से भी चुनाव लड़ा और वहां से भी जीत दर्ज की थी. बाद में नरेंद्र मोदी ने वडोदरा लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया तब यहां हुए उपचुनाव में रंजनबेन भट्ट ने जीत दर्ज की थी.
वडोदरा लोकसभा का चुनावी इतिहास
वडोदरा में 1952 में हुए पहले चुनाव में निर्दलीय इंदुभाई अमीन ने जीत दर्ज की थी. इसके बाद 1957 और 1962 में हुए चुनाव में कांग्रेस पार्टी के फ़तेहसिंहराव गायकवाड़ ने जीत दर्ज किया था. 1967 में निर्दलीय पाशाभाई पटेल ने जीत दर्ज की थी. इसके बाद 1971 और 1977 में फ़तेहसिंहराव गायकवाड़ ने कांग्रेस की टिकट पर लगातार दो बार जीत दर्ज की, 1980 और 1984 में कांग्रेस की टिकट पर रणजीतसिंह गायकवाड लोकसभा पहुंचे. 1989 में जनता दल के प्रकाश ब्रह्मभट्ट ने जीत दर्ज की. इसके बाद 1991 में बीजेपी की टिकट पर दीपिका चिखलिया सांसद बनीं. दीपिका चिखालिया धार्मिक महाकाव्य, रामायण में मां सीता की भूमिका निभाने के लिए प्रसिद्ध हुई है.1996 में सत्यजीतसिंह गायकवाड़ कांग्रेस पार्टी से संसद पहुंचे.इसके बाद 1998, 1999 और 2004 में जयाबेन ठक्कर ने जीत दर्ज की.2009 में बालकृष्ण शुक्ल, 2014 में नरेंद्र मोदी ने यहां जीत दर्ज की.
वडोदरा लोकसभा का वोट गणित
2011 की जनगणना के अनुसार वडोदरा जिले की जनसंख्या लगभग 41.5 लाख है. यहां 78.92 फीसदी जनसंख्या साक्षर है जिसमें पुरूषों की साक्षरता दर 85.39 फीसदी है जबकि महिला साक्षरता दर 72.03 फीसदी है.वडोदरा लोकसभा क्षेत्र में सात विधानसभा- सयाजीगंज, वाघोडिया, रावपुरा, मांजलपुर, सावली, अकोटा और
वडोदरा शहर शामिल है.वडोदरा में कुल 17,94,896 मतदाता हैं. इसमें पुरुष मतदाता की संख्या 8,72,170 जबकि महिला मतदाता की संख्या 9,22,593 है. यहां थर्ड जेंडर निर्वाचक 133 हैं. 2019 में यहां कुल मतदान प्रतिशत 68.10% था.
बीजेपी उम्मीदवार की टिकट वापसी
बीजेपी ने यहां तीसरी बार रंजनबेन भट्ट को चुनाव लड़ने का मौका मिला तो यहां विवाद शुरु हो गया बीजेपी की कद्दावर नेता और शहर की पूर्व मेयर ज्योतिबेन पंड्या ने खुली बगावत कर दी. इसके बाद बीजेपी ने पंड्या को संस्पेंड कर दिया है। इधर रंजनबेन भट्ट ने निजी कारणों का हवाला देकर चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया.वड़ोदरा गुजरात का तीसरा सबसे ज्यादा आबादी वाला शहर है. वडोदरा को बड़ौदा भी कहते हैं. यहां का लक्ष्मी विकास महल काफी प्रसिद्ध है