मध्य प्रदेश का इंदौर शहर पूरे देश में सबसे स्वच्छ शहर के रूप में अपनी धाक जमाए हुए है, साथ ही यहां की राजनीति ने भी पूरे प्रदेश और देश को एक से बड़े एक दिग्गज राजनेता दिए हैं. मालवा की सबसे अहम सीटों में से एक इंदौर को प्रदेश की आर्थिक राजधानी भी माना जाता है. यहां पर राजवाड़ा की कुछ परंपराएं अभी भी चल रही हैं. जहां होलकर राजवंशों का राज रहा है. भगवान शिव के दो प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग के बीच इस शहर के बाजार देखते ही बनते हैं.
महाकाल और ओमकारेश्वर जैसे सुप्रसिद्ध दो ज्योतिर्लिंग के बीच में व्यापारिक दृष्टिकोण से इंदौर को होलकर राजवंश की महारानी अहिल्याबाई ने बसाया था. यहां शहर के बीचो-बीच एक नदी है जिसे खान नदी कहा जाता है, हालांकि समय के साथ यह एक बड़ा नाला बन गया है. शहर में होलकर राजवंशों के बनाए गए बाजार आज भी देखने को मिलते हैं. शहर में राजवाड़ा और लालबाग पैलेश होलकर राजवंश की विशेष धरोधरों के रूप में आज भी मौजूद हैं. शहर के नाम के पीछे भी एक कहानी है, जिसमें बताया जाता है कि यहां इंद्रेश्वर महादेव की स्थापना 1741 में की गई थी, इन्हीं महादेव के नाम पर इस शहर का नाम इंदौर रखा गया.
आईआईटी-आईआईएम एक साथ
शिक्षा के क्षेत्र में इंदौर शहर मध्य प्रदेश के बाकी शहरों के मुकाबले सबसे ज्यादा समृद्ध है. यहां पर देवी अहिल्याबाई यूनिवर्सिटी तो है ही जिसमें शहर और देश के कई होनहार छात्र अपनी शिक्षा गृहण कर चुके हैं, इसके अलावा शहर में मैनेजमेंट में सबसे श्रेष्ठ संस्थानों में से एक आईआईएम भी मौजूद है. इतना ही नहीं इंजीनियरिंग की बात की जाए तो पूरे देश में शायद इंदौर इकलौता शहर है जहां आईआईएम के साथ आईआईटी भी मौजूद है.
खाने के लिए पूरे देश में फेमस
इंदौर शहर खाने-पीने के लिए पूरे देश में फेमस है, यहां के चटकारों की तारीफ खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर चुके हैं. यहां पर 56 दुकान और सराफा मार्केट बहुत फेमस है. सराफा मार्केट के तो कई सारे वीडियोज आपने पहले ही कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर देखे होंगे. शहर की कई खूबियों में यह एक अहम हिस्सा है. इनके अलावा आज भी यहां पर होलकरकालीन कई बाजार मौजूद हैं जहां लोग पीढ़ियों से अपने व्यापार कर रहे हैं. 1724 में इंदौर मराठा साम्राज्य का हिस्सा बना था.
इंदौर की राजनीति
इंदौर के राजनेताओं की बात की जाए तो यहां से सबसे बड़ा नाम सुमित्रा महाजन का निकलकर आता है. सुमित्रा महाजन लगातार 8 बार इंदौर से सांसद बनी हैं. राजनीति में ताई नाम से फेमस सुमित्रा महाजन ने 2014 से 2019 तक लोकसभा स्पीकर के पद पर कार्यभार संभाला था. ताई के अलावा यहां का दूसरा सबसे बड़ा नाम है कैलाश विजवर्गीय. अपने विवादित बयानों के लिए पूरे देश में पहचाने जाने वाले कैलाश विजयवर्गीय इस क्षेत्र में अलग-अलग विधानसभा सीटों से चुनाव लड़कर 7 बार विधायक बन चुके हैं. वह मध्य प्रदेश के कई अहम मंत्रालय भी संभाल चुके हैं. इंदौर में 2475468 मतदाता हैं जो कि बीजेपी और कांग्रेस के उम्मीदवार को चुनने के लिए मतदान करेंगे.
पिछले चुनाव में क्या-क्या
इंदौर लोकसभा में 8 विधानसभाएं हैं जिनमें देपालपुर, इंदौर 1, इंदौर 2, इंदौर 3, इंदौर 4, इंदौर 5, राउ और सांवेर शामिल है. 2023 में मध्य प्रदेश में हुए विधानसभा चुनावों में यहां सभी सीटों पर बीजेपी के जनप्रतिनिधियों ने जीत हासिल की थी. वहीं अगर लोकसभा की बात की जाए तो यहां पर 1989 के बाद से 2014 तक सुमित्रा महाजन ही चुनाव लड़ती रहीं और लगातार जीत अपने नाम की है. इसके बाद 2019 में यहां से बीजेपी ने शंकर लालवानी को टिकट दिया और उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार पंकज संघवी को करीब साढ़े पांच लाख वोटो से शिकस्त दी थी.