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Wednesday, December 4, 2024
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16 बार हमलों में नहीं मरा मुख्तार…फिर एक सस्ती मौत | Mukhtar Ansari Mafia don Brijesh Singh encounter gang war escaped from Mau police life saved 16 times


16 बार हमलों में नहीं मरा मुख्तार...फिर एक सस्ती मौत

मुख्तार अंसारी (फाइल फोटो)

बीते 19 वर्षों से अलग अलग जेलों में बंद पूर्वांचल के माफिया डॉन मुख्तार अंसारी को बहुत सस्ती मौत मिली है. यह खूंखार माफिया इतना शातिर था कि मौत को भी एक या दो बार नहीं, 16 बार गच्चा देने में सफल हो गया था. खुली गाड़ी में घूमने के शौकीन मुख्तार अंसारी अपने ऊपर संभावित खतरे को पहले ही भांप लेता था. फिर वह उसी खतरे को अपने हथियार के रूप में इस्तेमाल कर लेता था. उसके मुकदमों की जांच से जुड़े पुलिस अधिकारियों की मानें तो मुख्तार 19 बार खुद गैंगवार में शामिल हुआ. इनमें 16 बार वह घिर भी गया. बावजूद इसके वह सुरक्षित बच निकला था.

उसके साथ तीन बड़े टकराव हुए. पहला बड़ा टकराव बनारस में बृजेश सिंह के साथ हुआ था. इस गैंगवार में मुख्तार को गोली लगी थी, जबकि कई लोग मारे गए थे. इसी प्रकार दूसरा टकराव लखनऊ में पुलिस के साथ हुआ. इसमें पुलिस मुख्तार का एनकाउंटर करना चाहती थी, लेकिन मुख्तार पुलिस की गोलियों को गच्चा देते हुए मौके से फरार हो गया था. तीसरा टकराव भी मऊ में पुलिस के साथ हुआ. इस दौरान वह पुलिस के बीच से निकल भागने में सफल हो गया था और कुछ ही दिन बाद उसने गाजीपुर में गिरफ्तारी दी थी.

कृष्णानंद राय केस में हुआ एक 47 का इस्तेमाल

मुख्तार अंसारी के गाजीपुर की जेल में रहते हुए ही कृष्णानंद राय हत्याकांड को अंजाम दिया गया था. बताया जा रहा है कि इस वारदात को मुन्ना बजरंगी ने अंजाम दिया था. वारदात के लिए एके 47 की व्यवस्था मुख्तार ने कराई थी. कहा जाता है कि किसी आपराधिक कृत्य के लिए पहली बार एके 47 जैसे आधुनिक हथियार का इस्तेमाल किया गया था. इस वारदात के लिए मुख्तार को सीधे तौर पर जिम्मेदार माना गया, लेकिन जेल होने का उसे लाभ मिला और इस मामले में वह बरी हो गया. जेल से छूटने के बाद फिर से उगाही और अपहरण के खेल में जुट गया.

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अपने ठिकाने पर घिर गया था मुख्तार

चूंकि कृष्णानंद राय हत्याकांड के बाद से ही सरकार दबाव में आ गई थी, इसलिए मुख्तार अंसारी के एनकाउंटर के लिए लखनऊ से फरमान जारी हो गया था. ऐसे हालात में मऊ और गाजीपुर की पुलिस मुख्तार की तलाश में जुट गई. इस अभियान से जुड़े एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक एक दिन मुख्तार की सटीक लोकेशन मिल गई और उसके ठिकाने को पुलिस ने घेर भी लिया था. मैसेज लखनऊ तक पहुंचा दिया गया कि आज ऑपरेशन मुख्तार पूरा हो जाएगा.

19 साल से जेल में था मुख्तार

अधिकारियों के मुताबिक चूंकि ऊपर से हरी झंडी मिलने में थोड़ी देरी हो गई और इतने में मुख्तार को खबर हो गई. ऐसे में वह एक बार फिर ठिकाने से निकल भागने में सफल हो गया. इस घटना के बाद मुख्तार काफी समय तक भदोही के बाहुबली विजय मिश्रा के संरक्षण में मामला ठंडा होने तक अंडरग्राउंड रहा था. बता दें कि मुख्तार अंसारी करीब 19 साल पहले पंजाब में अरेस्ट हुआ था और उसी समय से मरते दम तक जेल में रहा. कहा तो यह भी जाता है कि उत्तर प्रदेश पुलिस के एनकाउंटर से बचने के लिए मुख्तार ने खुद पंजाब में गिरफ्तारी दी थी.

बांदा जेल में हुई मौत

उत्तर प्रदेश पुलिस ने उसे कई बार पंजाब से यूपी लाने की कोशिश भी की, लेकिन पंजाब पुलिस के विरोध की वजह से ऐसा संभव नहीं हो सका. बाद में उत्तर प्रदेश में योगी सरकार आने के बाद प्रबल पैरवी हुई और आखिरकार मुख्तार को यूपी लाया जा सका. तब से वह बांदा जेल में बंद था. यहीं से वह विभिन्न जिलों में दर्ज मुकदमों की सुनवाई में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए भाग लेता रहा है. इसी जेल में रहते गुरुवार को उसे हार्ट अटैक आया, जिससे उसकी मौत हो गई.



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