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Saturday, September 7, 2024
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मुख्तार के ग्रह नक्षत्र और कुंडली योग में क्या था? 16 हमले भी बाल बांका नहीं कर पाए | Mukhtar Ansari Mafia of Purvanchal Mau MLA Birth horoscope Raj Yoga Strong Sun gives happiness of power


मुख्तार के ग्रह-नक्षत्र और कुंडली योग में क्या था? 16 हमले भी बाल बांका नहीं कर पाए

मुख्तार अंसारी

गाजीपुर के सुब्हानउल्लाह अंसारी और बेगम राबिया की तीसरी संतान मुख्तार अंसारी राजयोग के साथ पैदा हुआ था. उसकी लग्न कुंडली में सूर्य का प्रबल योग उसे हर मैदान में विजेता साबित करने के लिए क्षमता प्रदान करता था. चूंकि उसे सही मार्गदर्शन नहीं मिला, ऐसे में मुख्तार ने अपने दोनों बड़े भाइयों से अलग राह पकड़ ली. प्रभावशाली परिवार में तो वह पैदा ही हुआ था, साथ में ईश्वर प्रदत्त सूर्य का प्रबल योग मिल गया. इसलिए बचपन में ही उसका औरा काफी बढ़ गया और महज 10-12 साल की उम्र में ही लोग उसे जानने और पहचानने लगे थे.

मुख्तार अंसारी बचपन से ही आत्ममुग्ध प्रवृति का था. उसे यह बर्दाश्त नहीं था कि कोई उससे आगे चले. इसी प्रवृति की वजह से वह गुंडई में उतर गया और महज में 15 साल की उम्र में उसके खिलाफ गाजीपुर के सैदपुर थाने में पहला मुकदमा दर्ज हुआ. यह मुकदमा धमकाने का था. चूंकि कुंडली के 12वें भाव में बैठा मंगल उसे निडर बना रहा था और दुष्ट ग्रह राहु उत्प्रेरक का काम कर रहा था. ऐसे में बेलगाम गति से आगे बढ़ते मुख्तार अंसारी पर साल 1986 में हत्या का आरोप लगा.

ग्रहों के खेल में छोड़ना पड़ा अपना घर

Lagn Kundli

मुख्तार अंसारी की लग्न कुंडली

इस वारदात के बाद मुख्तार ने अपने बढ़ते पांव कभी रोके नहीं. कुंडली में राहु के प्रभाव की वजह से ही मुख्तार को अपना गृह जिला छोड़ कर अपनी कर्म भूमि मऊ को बनानी पड़ी. हालांकि सूर्य के तेज की वजह से वह अपना वर्चस्व कायम रखने में सफल रहा. ज्योतिष के जानकारों के मुताबिक उसकी कुंडली में कई बार दुष्ट ग्रह सिर उठाने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं, लेकिन हर बार सूर्य के प्रबल योग की वजह से उनका असर नहीं हो पाता.

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राजयोग ने दिलाया सत्ता सुख

वहीं, कुंडली में राजयोग की वजह से मुख्तार अंसारी लगातार सत्ता सुख हासिल करने में सफल हो जाता है. हालांकि जीवन के उत्तरार्ध में मुख्तार अंसारी को बुध की महादशा भी झेलनी पड़ी. इस योग की वजह से वह शारीरिक रूप से कमजोर हो गया और उसके कई अंगों ने साथ छोड़ दिया. इस प्रकार उसकी 28 मार्च की रात में मौत हो गई. मुख्तार अंसारी पर 16 बार जानलेवा हमले हुए, लेकिन वह इन्हीं ग्रहों की वजह से हर बार ना केवल बचने में सफल रहा, बल्कि हर बार वह और मजबूत होता चला गया.

ग्रहों ने ही पहुंचाया जेल

बता दें कि बृजेश से दुश्मनी करके ही मुख्तार अंसारी का सूर्य चमका था. फिर 29 नवंबर 2005 को कृष्णानंद राय की हत्या हुई. 22 जनवरी 1997 को व्यापारी नंद किशोर रुंगटा केस में नाम आया. इन सब मामलों ने मुख्तार कुख्यात हुआ. हालांकि साल 2001 से 2009 तक ग्रहों की दशा बदली तो मुख्तार को अपनी जान बचाने के लिए पलायन करना पड़ा. इसी क्रम में उसकी पंजाब में गिरफ्तारी हुई और उसे बाकी जीवन जेल में गुजारना पड़ा.

मुख्तार के भाग्य का सुख भाई और बेटे को भी

मुख्तार की कुंडली में राजयोग होने का भी उसे खूब लाभ मिला. पहले मायावती ने उसे 1996 में मऊ से विधायक बनवाया तो 2002 और 2007 के विधानसभा चुनावों में वह निर्दलीय ही लखनऊ पहुंचने में कामयाब रहा. इस दौरान उसे सपा का समर्थन मिला था. साल 2012 में मुख्तार ने कौमी एकता दल नाम से अपनी पार्टी बनाई और फिर मऊ सदर से जीतकर विधानसभा पहुंचा. 2017 में भी वह चुनाव जीता, लेकिन 2022 में उसने यह सीट अपने बेटे अब्बास अंसारी के लिए खाली कर दी. मुख्तार अंसारी की कुंडली में राजयोग का फायदा उसके बड़े भाई अफजाल अंसारी और बेटे अब्बास अंसारी को भी मिला और दोनों सत्ता सुख भोग रहे हैं.



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