पालघर लोकसभा सीट
पालघर लोकसभा सीट महाराष्ट्र की 48 सीटों में से एक है. यह सीट अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित है. पालघर लोकसभा सीट में कुल छह विधानसभा सीटें आती हैं पालघर एक जिला भी है. स्थानीय लोगों की मांग को देखते हुए 2014 में ठाणे जिले को दो हिस्सों में बांट दिया गया और पालघर को एक नया जिला बना दिया गया. हालांकि, पालघर लोकसभा सीट 2009 में ही अस्तित्व में आ गई थी. जिस समय पालघर को नया जिला बनाया गया था उस समय पृथ्वीराज चव्हाण राज्य के मुख्यमंत्री थे और बालासाहेब थोराट राजस्व मंत्री थे. इन दोनों नेताओं की उपस्थिति में पालघर एक नए जिले के रूप में अपना कामकाज शुरू किया.
पालघर जिले में वसई, अर्नाळा, गंभीरगढ़, तारापुर, कलदुर्ग, केलवा, कामनदुर्ग, शिरगांव के किले हैं. वसई में जीवदानी मंदिर और दहानू में महालक्ष्मी मंदिर जिले का आध्यात्मिक स्थल हैं. पालघर अरब सागर से भी घिरा हुआ है. पालघर जिले में आदिवासी आबादी भी निवास करती है. वराली पेंटिंग और तारपा नृत्य आदिवासी सांस्कृतिक विरासत हैं. दहानू तहसील में घोलवड चिकू उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है. 2011 की जनगणना के आधार पर पालघर जिले की कुल जनसंख्या लगभग 29,95,428 है और इसके भीतर कुल 8 तालुके हैं.
पहले चुनाव में बहुजन विकास अघाड़ी विजयी
इस जिले के राजनीतिक परिदृश्य की बात करें तो यहां पहली बार लोकसभा चुनाव 2009 में हुए थे. तब यहां बहुजन विकास अघाड़ी के बलिराम जाधव सांसद निर्वाचित हुए. इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में यह सीट बीजेपी के पास चली गई और चिंतामन वनगा सांसद बने. चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार चिंतामन वनगा को 5 लाख 33 हजार 201 वोट मिले थे जबकि बहुजन विकास अघाड़ी के उम्मीदवार को 2 लाख 93 हजार 681 वोट मिले थे. इस तरह से देखें तो दोनों उम्मीदवारों के बीच में जीत और हार के आंतर 2 लाख 39 हजार 520 वोटों का था. तीसरे नंबर पर सीपीआईएम थी जिसे 76,890 वोट मिले थे.
इसके बाद 2018 में इस सीट पर उपचुनाव हुए और बीजेपी के राजेंद्र गावित सांसद बने. इसके बाद 2109 में एक बार फिर से पूरे देश में आम चुनाव हुए. तब तक राजेंद्र गावित शिवसेना के टिकट पर मैदान में उतरे और लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की.
2019 के चुनाव में हार और जीत का अंतर महज 23,404 था
2019 के चुनाव में गावित को 515,000 वोट मिले थे जबकि बहुजन विकास अघाड़ी के उम्मीदवार रहे बलिराम जाधव को 4,91,596 वोट मिले. हार और जीत के बीच 23,404 वोटों का अंतर था. मतलब मुकाबला काफी करीबी था. 2018 के उपचुनाव में भी कुछ ऐसी ही स्थिति देखने को मिली थी. तब राजेंद्र गावित 29 हजार कुछ वोटों से जीते थे.
2011 में कितनी थी आबादी?
2011 की जनगणना के अनुसार इस जिले की आबादी लगभग 2,990,116 थी. भारत का पहला परमाणु ऊर्जा संयंत्र पालघर जिले के तारापुर में स्थित है. इसके अलावा पालघर का तारापुर इलाका महाराष्ट्र के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्रों में से एक है. पालघर में ही दहानू, अर्नाला, वसई और दातिवेयर भी मछली पकड़ने के प्रमुख बंदरगाह भी हैं.
2024 में बदल चुके हैं सियासी समीकरण
2024 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो महाराष्ट्र के सियासी समीकरण बदल चुके हैं. 2019 में जो बीजेपी और शिवसेना एक साथ थी आज उस शिवसेना में दो फाड़ हो चुकी है. एक गुट उद्धव ठाकरे का तो दूसरा गुट एकनाथ शिंदे का है. ऐसे में जब पूरे महाराष्ट्र के सियासी समीकरण बदले हैं तो पालघर भी भला उससे अछूता कहां रह सकता है.