डिंडोरी लोकसभा सीट
डिंडोरी महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों में से एक है. यह सीट 2002 को गठित परिसीमन आयोग की सिफारिशों के आधार पर 2008 में अस्तित्व में आई. यहां पहली बार 2009 में लोकसभा चुनाव हुए थे. 1951 तक डिंडोरी का मूल नाम रामगढ़ था. मौर्य, शुंग और कण्व, चालुक्य और चेदि राजवंशों ने इस क्षेत्र में शासन किया. इस सीट का अपना ऐतिहासिक स्थान भी है. लक्ष्मण माडव, कुकरा मठ, कलचुरी काली मंदिर धार्मिक रूप से दर्शनीय स्थान हैं.
2009 में जब यह सीट अस्तित्व में आई और पहली बार यहां चुनाव हुआ था तब बीजेपी ने हरिश्चंद्र देवराम चव्हाण उम्मीदवार घोषित किया था. दूसरी ओर से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी यानी एनसीपी ने नरहरि सीताराम झिरवाळ को टिकट दिया. वहीं, सीपीआईएम ने जीवा पांडू गावित को अपना प्रत्याशी घोषित किया था, लेकिन चुनाव में बीजेपी बाजी मार ले गई. बीजेपी उम्मीदवार हरिश्चंद्र देवराम चव्हाण बंपर जीत हासिल करते हुए सांसद निर्वाचित हुए. चुनाव में हरिश्चंद्र देवराम चव्हाण को 2,81,254 वोट मिले थे जबकि एनसीपी उम्मीदवार नरहरि सीताराम झिरवाळ को 2,43,907 वोट मिले थे. जीत और हार के बीच 37 हजार 347 वोटों का अंतर था.
हरिश्चंद्र देवराम चव्हाण को दोबारा मिला था मौका
इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने एक बार फिर से यहां हरिश्चंद्र देवराम चव्हाण को टिकट दिया. सांसद रहते हुए सीट पर हरिश्चंद्र देवराम चव्हाण जनता में अच्छी पकड़ बना के रखे थे. टिकट चयन के दौरान इसका उन्होंने फायदा भी मिला और पार्टी ने उन पर दोबारा विश्वास जताया. दूसरी ओर तब की शरद पवार की अगुवाई एनसीपी ने भारती प्रवीण पवार अपना उम्मीदवार घोषित किया.
वहीं, सीपीआईएम ने हेमन्त मोतीराम वाघेरे को अपना प्रत्याशी घोषित किया था. इस बार के चुनाव में भी बीजेपी को जीत मिली और हरिश्चंद्र देवराम चव्हाण फिर से सांसद चुने गए. चव्हाण को कुल 5,42,784 वोट मिले जबकि दूसरे नंबर पर रहे प्रवीण पवार को 2,95,165 वोट ही मिले. 72,599 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर सीपीआईएम रही थी. 2009 की तुलना में चव्हाण ने यहां 2,47,619 वोटों से जीत हासिल की.
2019 में बीजेपी ने बदल दिया था अपना उम्मीदवार
हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने यहां से अपना प्रत्याशी बदल दिया और भारती पवार को मैदान में उतारा. ये वही भारती पवार थे जो कि 2014 के चुनाव में एनसीपी के टिकट पर चुनाव लड़े थे. लेकिन इस बार भारती पवार बीजेपी की उम्मीदों पर खरा उतरे और जीत हासिल करते हुए संसद पहुंचे. वहीं, एनसीपी ने धनराज महाले को मैदान में उतारा था जो कि दूसरे नंबर पर रहे. सीपीआईएम के जीव पांडू गावित तीसरे नंबर पर रहे. चुनाव में भारती पवार को कुल 567,470 मिले थे जबकि धीरज को 3,68,691 और गावित को 1,09,570 वोट मिले थे. हार और जीत के बीच 1,98,779 वोटों का अंतर था.
इस सीट पर जातीय समीकरण की बात करें तो 2011 के जनगणना के अनुसार एससी मतदाताओं की संख्या लगभग 138,014 है जो कि कुल आबादी की 8 फीसदी है. दूसरी ओर से एसटी मतदाताओं की बात करें तो इनकी संख्या 622,787 थी. तब कुल आबादी में इनका योगदान करीब 36.1 फीसदी था. हालांकि, जनगणना हुए अब करीब 13 साल बीत गए हैं ऐसे में इनकी आबादी में बढ़ोतरी भी स्वाभाविक है.