भारत-पाकिस्तान के बीच मुल्तान टेस्ट इतिहास के साथ ही विवाद का भी गवाह बना था.
इस कहानी की शुरूआत 29 मार्च 2004 से दो दिन पहले 27 मार्च से हुई थी. भारतीय टीम पाकिस्तान के दौरे पर थी. भारतीय टीम 14 साल के बड़े अंतराल के बाद पाकिस्तान के दौरे पर गई थी. सौरव गांगुली टीम के कप्तान हुआ करते थे. काफी जद्दोजेहद और सुरक्षा इंतजामों की पुख्ता जांच के बाद भारतीच टीम के पाकिस्तान दौरे को मंजूरी मिली थी. इसमें राजनीतिक इच्छाशक्ति भी शामिल थी. अटल बिहारी वाजपेई भारत के प्रधानमंत्री थे और उन्होंने खुद भी इस दौरे के फाइनल होने में बड़ा रोल निभाया था. वो टीम के पाकिस्तान रवाना होने से पहले खिलाड़ियों से मिले भी थे. खैर, भारतीय टीम ने पाकिस्तान दौरे पर शानदार तरीके से वनडे सीरीज जीत भी ली थी. 28 मार्च से टेस्ट सीरीज शुरू होनी थी. पहला टेस्ट मैच मुल्तान में था. इससे कुछ घंटे पहले 27 मार्च को ही ये खबर आई कि सौरव गांगुली पहले टेस्ट मैच में नहीं खेल पाएंगे. वनडे सीरीज के आखिरी मैच में सौरव गांगुली को हल्की चोट लगी थी. इसी दर्द के चलते पहले टेस्ट मैच के लिए वो ‘अवेलेबल’ नहीं थे.
उस टेस्ट मैच में राहुल द्रविड़ कप्तानी कर रहे थे. भारत ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया. उस दौरे में आकाश चोपड़ा भी भारतीय टीम का हिस्सा थे. उन्होंने और वीरेंद्र सहवाग ने भारतीय पारी की शुरूआत की. सहवाग रंग में थे. वो अपने ‘नैचुरल’ अंदाज में रन बटोर रहे थे. सहवाग और आकाश के बीच शतकीय साझेदारी हुई. आकाश चोपड़ा 42 रन बनाकर आउट हुए तब भारतीय टीम के स्कोरबोर्ड पर 160 रन जुड़ चुके थे. इसके बाद राहुल द्रविड़ सिर्फ 6 रन बनाकर आउट हो गए. फिर सचिन तेंडुलकर क्रीज पर आए और इतिहास के रचे जाने की शुरूआत हुई.
जब सहवाग बने थे मुल्तान के सुल्तान
अगले कई घंटे तक ये टेस्ट मैच ‘ट्रीट टू वॉच’ था. एक तरफ से वीरेंद्र सहवाग दूसरी तरफ से सचिन तेंडुलकर. सचिन तो फिर भी टेस्ट क्रिकेट के अंदाज में बल्लेबाजी कर रहे थे वीरेंद्र सहवाग तो लगातार बड़े शॉट्स खेल रहे थे. सहवाग ने सिर्फ 107 गेंद पर अपना शतक पूरा किया. फिर 150 गेंद पर 150 रन. 222 गेंद पर वीरेंद्र सहवाग ने अपना दोहरा शतक पूरा कर लिया. इसके बाद जब उन्होंने 221 रन पार किए तो वो पाकिस्तान में पाकिस्तान के खिलाफ सबसे ज्यादा रन बनाने के संजय मांजरेकर के रिकॉर्ड को तोड़ चुके थे. पहले दिन का खेल खत्म हुआ तो वीरू नॉट आउट लौटे. दूसरे दिन उन्होंने फिर उसी अंदाज में बल्लेबाजी शुरू की. 299 गेंद पर वो 250 रन पूरे कर चुके थे. इस बीच 209 गेंद पर सचिन ने भी अपना शतक पूरा कर लिया था. सहवाग 294 रन पर पहुंच चुके थे. उस समय तक टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में किसी भारतीय बल्लेबाज ने तिहरा शतक नहीं लगाया था.
सहवाग ने सकलेन मुश्ताक की गेंद पर छक्का लगाकर ये मुकाम हासिल किया. वो टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में अपना नाम दर्ज करा चुके थे. भारतीय टीम का स्कोर 500 रन पार कर चुका था. आखिरकार सहवाग 309 रन बनाकर आउट हुए. इसके बाद सचिन तेंदुलकर ने मोर्चा संभाला. उन्होंने 295 गेंद पर अपने 150 रन पूरे कर लिए. वीवीएस लक्ष्मण उनका साथ दे रहे थे. वो रन आउट हो गए तो युवराज सिंह आए. युवराज सिंह को उस टेस्ट मैच में सौरव गांगुली की जगह शामिल किया गया था. इस बीच सचिन भी धीरे धीरे 160-170 का स्कोर पार करते चले गए. युवराज सिंह जब 59 के स्कोर पर आउट हुए तो सचिन 194 रन पर थे और टीम का स्कोर 675 रन हो चुका था. इसी स्कोर पर राहुल द्रविड़ ने पारी समाप्ति का ऐलान कर दिया. हर कोई चौंक गया. क्योंकि सचिन अपने दोहरे शतक से सिर्फ 6 रन दूर थे.
जब सचिन को आया था गुस्सा
इसके बाद आम तौर पर बेहद चुप रहने वाले सचिन तेंडुलकर मुल्तान टेस्ट मैच में बोल पड़े. तमाम क्रिकेट फैंस के जहन में सिर्फ एक सवाल थे, सचिन के दोहरे शतक से सिर्फ 6 रन पहले कोई कप्तान कैसे ऐसा कर सकता है? सचिन जब बल्ला थामे मैदान से बाहर निकल रहे थे तो कॉमेंटेटर ने भी उनसे पूछ ही लिया- क्या आपको द्रविड़ के फैसले से मायूसी हुई? सचिन ने नहीं रहा गया उन्होंने तुरंत कहा चूंकि उन्होंने करियर में बहुत सारे दोहरे शतक नहीं बनाए इसलिए अगर उन्हें दोहरा शतक बनाने का मौका मिलता तो अच्छा रहता. ये बड़ी खबर थी. वैसे भी सचिन का बोलना कभी भी छोटी खबर नहीं हो सकता. हर चैनल, हर अखबार ने राहुल द्रविड़ के हाथ से इशारा कर सचिन को पवेलियन बुलाने वाली तस्वीर को दर्शकों और पाठकों तक पहुंचाया. जितनी बड़ी खबर सहवाग के तिहरे शतक की थी उतनी ही बड़ी खबर ये भी बन गई.
दूसरे दिन जब राहुल द्रविड़ ने पारी डिक्लेयर की तो उसके बाद कुछ ओवर भारतीय गेंदबाजों ने भी फेंके. खैर, ये बड़ा विवाद हो सकता था. सचिन के सामने उस पाकिस्तान में दोहरा शतक लगाने का मौका था जहां से उनका क्रिकेट करियर शुरू हुआ था. लेकिन कहते हैं ना कि खिलाड़ी के बड़े होने के पीछे उसकी समझ-उसकी परिपक्वता होती है. अगले ही दिन राहुल द्रविड़ और सचिन तेंडुलकर के बीच बातचीत हुई और विवाद ने दम तोड़ दिया. संभवत: राहुल द्रविड़ ने अपनी गलती का अहसास कर सचिन से खेद जता दिया. इसके बाद भारतीय टीम ने पारी के बड़े अंतर से पाकिस्तान के खिलाफ जीत हासिल की, वीरू तिहरे शतक से हीरो बने लिहाजा ये विवाद लोग जल्दी ही भूल गए. अगला टेस्ट भारतीय टीम हार गई, यानी टेस्ट सीरीज में भी जबरदस्त रोमांच आ गया, लेकिन आखिरी टेस्ट जीतकर भारत ने पाकिस्तान को 2-1 से टेस्ट सीरीज में भी हरा दिया. सौरव गांगुली की कामयाबी को चार चांद लग गए.