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Saturday, October 5, 2024
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कृष्णानंद राय हत्याकांड में शहाबुद्दीन ने कैसे की थी मुख्तार अंसारी की मदद | mukhtar ansari take shahabuddin help in krishnanand rai murder case


कृष्णानंद राय हत्याकांड में शहाबुद्दीन ने कैसे की थी मुख्तार अंसारी की मदद

कृष्‍णानंद राय हत्‍याकांड में शहाबुद्दीन ने की थी मुख्‍तार की मदद

मारे गए अशोक यादव अब लालू यादव के दूसरे सबसे बड़े साले साधु यादव के सबसे खासम-खास थे. इसलिए इस मर्डर केस से सबसे ज्यादा गुस्सा साधु यादव का ही था और वह हत्यारे को किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ने की बात कर रहे थे. हत्या के बाद बिहार फिर से असेंबली इलेक्शन की ओर बढ़ता दिख रहा था. ऐसे में अशोक यादव मर्डर मिस्ट्री सुलझाने को बनी स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम (एसआईटी) भी शांत पड़ गई थी. हालांकि अब तक एसआईटी ने यह बात करीब-करीब कबूल कर ली थी कि अशोक यादव की हत्या सुपारी किलिंग है और हत्या करने वाला अपराधी आरा भोजपुर का बेहद खतरनाक अपराधी नौशाद कुरैशी है.

मर्डर के 72 घंटे के भीतर ही सिवान में शहाबुद्दीन के गांव प्रतापपुर में नौशाद कुरैशी की तलाश में वहां के एसपी रतन संजय ने रेडी भी की थी, वह नहीं मिला था. लेकिन इस रेड के हफ्ते भर के भीतर ही रतन संजय को सीवान के एसपी पद से हटा दिया गया था, लेकिन साधु यादव का गुस्सा खत्म नहीं हो रहा था और सिवान कनेक्शन की बात सामने आते ही वह और भी उबल रहे थे. तभी बिहार विधानसभा चुनाव की रणभेरी बज गई है और केजे राव को चुनाव आयोग ने बिहार चुनाव के लिए स्पेशल ऑब्जर्वर बना दिया गया. वह बेहद सख्त मिजाज के थे और चुनाव की रणभेरी बजते ही बिहार पुलिस और प्रशासन पर राज्यपाल का भी शासन खत्म हो गया था.

केजे राव ने कसा शहाबुद्दीन पर शिकंजा

केजे राव को सिवान में निष्पक्ष चुनाव कराने थे और उनको पता था कि शहाबुद्दीन की गिरफ्तारी के बिना यह संभव नहीं है. उनको यह भी जानकारी मिली कि सिवान में मौजूदा पुलिसकर्मी यह काम नहीं कर सकते तो उन्होंने सिवान की कमान देने के लिए सीबीआई दिल्ली में तैनात आईपीएस बिहार कैडर के राजविंदर सिंह भट्टी को ले आए. उनके लिए सिवान में एसपी की पोस्ट को डीआईजी के रूप में अपग्रेड किया गया. उन्होंने कमान संभालते ही साइलेंट ऑपरेशन शुरू किया और फरार चल रहे शहाबुद्दीन नवंबर 2005 के पहले हफ्ते में सिवान पुलिस की टीम के द्वारा पकड़ा गया, इस टीम को महिला सब इंस्पेक्टर गौरी कुमारी लीड कर रही थीं. शहाबुद्दीन की गिरफ्तारी के बाद बिहार-यूपी के जितने फरार अपराधी वहां रहे थे, वह भी जान बचाने को भागने लगे.

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सिवान से भागकर अंसारी के पास पहुंचे शूटर

ऐसे में जो अपराधी सिवान से भागे, वह अब यूपी में मुख्तार अंसारी के ठिकाने पर पहुंच गए थे. मुख्तार अंसारी के ठिकाने पर जाकर उस समय शरण लेने वालों में पटना में 25 जुलाई 2005 को बम मारकर अशोक यादव की हत्या करने वाला अपराधी नौशाद कुरैशी था. मुख्तार अंसारी के तब सबसे बड़े दुश्मन मोहम्मदाबाद विधानसभा से बीजेपी से चुनाव जीते कृष्णानंद राय थे. जिसके बाद मुख्तार के पास यूपी के साथ-साथ बिहार से आए शूटरों की तादाद काफी बढ़ गई और उसने पूरी ताकत के साथ कृष्णानंद राय की हत्या करने का प्लान बनाया और इस टीम को लीड कर रहा था सबसे बेहद खतरनाक अपराधी प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी. इस टीम में नौशाद कुरैशी को भी शामिल कर लिया गया. कृष्णानंद को भी अपनी जान पर खतरे के बारे में पता था और इसी लिए वह बुलेट प्रूफ गाड़ी से चलते थे, लेकिन उस दिन वह नॉर्मल कार से घर के बाहर रोक लिया गया. कृष्णानंद राय पर आठ एके-47 से 400 से अधिक गोलियां मुख्तार अंसारी के लोगों ने बरसायी. कृष्णानंद राय का पोस्टमार्टम हुआ, तो उनके शरीर के भीतर से 67 गोलियां निकली थी.

शहाबुद्दीन के शूटर का पुलिस ने किया था एनकाउंटर

इसके लिए यूपी एसटीएफ को जांच सौंपी गई और 23 दिसंबर 2005 को लखनऊ में जौनपुर के एसएसपी अभय कुमार ने मीडिया से मुखातिब होते हुए खुलासा किया कि कृष्णानंद राय की हत्या में शामिल मुख्तार अंसारी के एक शूटर को मार गिराया गया है. यह मारा गया शूटर कोई और नहीं बल्कि बिहार का रहने वाला नौशाद कुरैशी था. इसने ही 25 जुलाई 2005 को पटना वाटर बोर्ड के चेयरमैन अशोक यादव की हत्या कर दी थी. तब यह भी जानकारी दी गई कि उसके खिलाफ कुल 49 केस थे. बिहार और यूपी दोनों में इसकी गिरफ्तारी के लिए जिंदा या मुर्दा इनाम घोषित था. जिस नौशाद कुरैशी ने अशोक यादव को पटना में मारा था, वह अब पांच महीने के भीतर यूपी में एसटीएफ के हाथों मारा जा चुका था. इस मुठभेड़ को जौनपुर जफराबाद में रेलवे क्रासिंग पर यूपी एसटीएफ के एसएसपी विजय भूषण ने अंजाम दिया था.

नौशाद कुरैशी के मारे जाने के बाद उसके परिजनों ने आरोप लगाया कि जौनपुर रेलवे क्रासिंग पर दिखाई गई मुठभेड़ फर्जी है. उन्होंने यह आरोप लगाया कि नौशाद कुरैशी जमशेदपुर में था और वहां से यूपी की एसटीएफ उठाकर ले गई. परिवार वाले ह्यूमन राइट कमीशन मानवाधिकार आयोग पर पहुंच गए. मानवाधिकार आयोग ने पड़ताल की तो यूपी सरकार समुचित जवाब नहीं दे पाई, जिसका परिणाम यह हुआ कि मुठभेड़ को फर्जी करार दिया गया और कुछ पुलिस अधिकारियों पर गाज भी गिर गई. नौशाद कुरैशी के परिवार को 5 लाख रुपए मुआवजा देने का भी ऐलान किया गया.



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