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Saturday, February 15, 2025
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Up mafia don gangster mukhtar ansari died from heart attack due to heart attack in banda medical college | माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के डर से नहीं लगाई जाती थी चार्जशीट, सरकारी वकील नहीं लड़ते थे केस


माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के डर से नहीं लगाई जाती थी चार्जशीट, सरकारी वकील नहीं लड़ते थे केस

मुख्तार अंसारी

पूर्वांचल के माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की मौत के साथ ही अपराध का युग पूरा हो गया है. मुख्तार का खौफ ऐसा था कि पुलिस भी चार्जशीट लगाने के बजाय लटका कर रखती थी. यदि गलती से चार्जशीट कोर्ट में पेश भी हो जाए तो सरकारी वकील बहस करने के बजाय खुद को केस से बाहर कर लेते थे. रही बात आम आदमी और उसके विरोधियों की तो, यह कुख्यात बदमाश खुद ही शूटर भेज कर लोगों की हत्या कराता था और पुलिस पर दबाव बनाकर अपने विरोधियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज करा देता था. इस प्रसंग में ऐसे ही एक मामले की बात करेंगे.

मामला 29 अगस्त 2009 का है. मऊ नाथ भंजन नगर कोतवाली क्षेत्र में मन्ना सिंह और उसके साथी राजेश राय की अज्ञात बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. इस वारदात के समय मुख्तार अंसारी मऊ सदर से विधायक था. मन्ना सिंह के भाई हरेंद्र सिंह ने मुख्तार अंसारी, हनुमान पांडे, कल्लू सिंह और उमेश सिंह के खिलाफ लिखित तहरीर दी. इस तहरीर के आधार पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया और मामले की विवेचना उस समय मऊ के दक्षिण टोला थाने में इंस्पेक्टर रहे संदीप कुमार सिंह को दी गई. संदीप सिंह ने मुकदमा दर्ज कर जांच पूरी की और सभी आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट लगाई. उस समय संदीप कुमार सिंह को एक लाख रुपये रिश्वत का ऑफर किया गया था. जब वह नहीं माने तो चार्जशीट रोकने के लिए और भी हथकंडे अपनाए गए.

यही नहीं पड़ोसी जिले आजमगढ़ में भी उसने एक मजदूर की हत्या की और इसका आरोप अपने विरोधियों पर मढ़ दिया. इसके बाद उसने तत्कालीन डीजीपी केएल बनर्जी से मिलकर मामले की जांच बलिया ट्रांसफर करा दी. संयोग से उस समय इंस्पेक्टर संदीप कुमार सिंह का भी ट्रांसफर बलिया हो गया था और उन्हें ही जांच मिल गई. ऐसे में इस मामले में भी चार्जशीट दाखिल हुई और मुख्तार को इस मामले में भी दोषी साबित हुआ.

इंस्पेक्टर संदीप सिंह ने खुद कोर्ट में की थी बहस

इसी मामले की सुनवाई के दौरान एक बार तो ऐसे हालात बन गए कि आजमगढ़ की कोर्ट में कोई सरकारी वकील मुख्तार के खिलाफ बहस करने को तैयार नहीं था. जबकि मुख्तार की ओर से 30 से 40 वकीलों की फौज खड़ी होती थी. बताया जाता है कि ऐसे हालात में इंस्पेक्टर संदीप सिंह ने खुद कोर्ट में बहस कर उसकी रिमांड कराई थी. उस समय के इंस्पेक्टर संदीप सिंह अब प्रमोशन पाकर डीएसपी बन गए हैं और फिलहाल अयोध्या में तैनात हैं.

लखनऊ से कई बार चार्जशीट रोकने के मिले आदेश

उस समय मऊ में तैनात रहे अधिकारियों के मुताबिक उन दिनों मऊ और आजमग में मुख्तार अंसारी के खिलाफ एक दर्जन से अधिक मुकदमे दर्ज थे. बावजूद इसके पुलिस उन मामलों में चार्जशीट नहीं लगा रही थी. दरअसल उन दिनों प्रदेश में सपा की सरकार थी और तमाम उच्चाधिकारी भी मुख्तार के खिलाफ कार्रवाई नहीं चाहते थे. संयोग से उसी समय मऊ के एसपी के रूप में अनंतदेव तिवारी की तैनाती हुई और उन्होंने मुख्तार के खिलाफ दर्ज सभी मामलों को लाइनअप कर दिया. हालांकि उस समय भी लखनऊ से कई बार चार्जशीट रोकने के आदेश आए, लेकिन मुख्तार के धुर विरोधी और घोसी विधानसभा सीट से प्रत्याशी राजीव राय ने भी अभियान छेड़ दिया. जिसके दम पर मुख्तार के खिलाफ दर्ज सभी मामलों में चार्जशीट हो सकी और ये मामले फैसले तक पहुंच सके.



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