Beed Lok SeatImage Credit source: tv9 भारतवर्ष
बीड लोकसभा सीट महाराष्ट्र में राजनीतिक रूप से चर्चित सीट माना जाता है. पहले बीजेपी के कद्दावर नेता गोपीनाथ मुंडे इस सीट से जीत दर्ज करते रहे हैं. अब उनकी बेटी प्रीतम गोपीनाथराव मुंडे यहां की सांसद है. महाराष्ट्र के हॉट सीटों में से एक बीड में प्रीतम मुंडे सबसे ज्यादा वोटों से चुनाव जीतने के लिए जानी जाती है. पिता गोपीनाथ मुंडे की सड़क दुर्घटना में मौत के बाद हुए उपचुनाव में बीजेपी ने उनकी बेटी प्रीतम मुंडे को उम्मीदवार बनाया था. तब प्रीतम मुंडे ने 6,96,321 वोटों से कांग्रेस प्रत्याशी को हराया था. प्रीतम मुंडे की जीत देश की अब तक की सबसे बड़े अंतर से हुई जीत थी. इसके बाद 2019 में भी प्रीतम मुंडे ने इस सीट से जीत दर्ज की.
बीड लोकसभा में जीत के इतिहास की बात करें तो यहां कांग्रेस, सीपीआई,जनता दल और एनसीपी सभी को जीत हासिल हुई है. यहां कांग्रेस ने छह और बीजेपी ने सात बार जीत हासिल की है. 1996 से यह सीट बीजेपी के कब्जे में है (2004-2009 एनसीपी) को छोड़कर. 2019 में बीजेपी ने यहां जीत का चौका लगाया है.
2019 में दोबारा जीत हासिल की
2019 में बीजेपी की तरफ से दोबारा मैदान में उतरी प्रीतम मुंडे ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के बजरंग मनोहर सोनवेन को शिकस्त दी. बीजेपी के प्रीतम गोपीनाथराव मुंडे ने को जहां 6,75,841 वोट मिले वहीं. एनसीपी उम्मीदवार बजरंग मनोहर सोनवेन को 5,09,807 वोट मिले. इस तरह प्रीतम मुंडे ने एनसीपी प्रत्याशी को 1,66,733 वोटों से हराया था. तीसरे स्थान पर वंचित बहुजन आघाडी के विष्णु जाधव रहे थे. तब उन्हें 92,139 वोट मिले. यह कुल प्राप्त मतों का 6.81 प्रतिशत था.चौथे स्थान पर निर्दलीय उम्मीदवार संपत रामसिंग रहे 1.24 प्रतिशत वोट मिला था. संपत रामसिंगव को बीड की जनता ने 6,792 वोट दिए थे जबकि पांचवे स्थान पर रहे मुजीब नईमुद्दीन पूर्तिदार को 6,162 वोट मिले थे. यह कुल प्राप्त मत का महज 0.45 प्रतिशत था.
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प्रीतम मुंडे ने रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की थी
इससे पहले 2014 के चुनाव में बीजेपी के वरिष्ठ नेता गोपीनाथ मुंडे ने जीत दर्ज की थी. तब गोपीनाथराव पांडुरंग मुंडे को 6,35,995 वोट मिले थे उन्होंने एनसीपी के सुरेश रामचन्द्र दास को 1,36,454 वोटों से हराया था. सुरेश रामचन्द्र दास को 4,99,541 वोट मिले थे. जबकि तीसरे स्थान पर रहे बीएसपी के दिग्मंबर रामराव राठौर को 14,166 वोट मिले. गोपीनाछ मुंडे 2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री बनाए गए थे.मंत्री बनने के कुछ दिन बाद ही 3 जून 2014 को गोपीनाथ मुंडे की दिल्ली में एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई. यह बीजेपी के लिए बड़ा झटका था. इसके बाद बीजेपी ने गोपीनाथ मुंडे की मझली बेटी प्रीतम मुंडे को बीड उपचुनाव में मैदान में उतारा था. तब प्रीतम मुंडे ने रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की थी.
बीड का चुनावी राजनीतिक इतिहास
बीड लोकसभा चुनाव में पहली बार हुए चुनाव में पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट के रामचंदर परांजपे ने जीत दर्ज की थी. इसके बाद अगले दो चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने जीत दर्ज की. फिर 1967 में सीपीआई, 1971 में कांग्रेस, 1977 में सीपीआई (एम), 1980 में कांग्रेस 1984 में कांग्रेस, 1989 में जनता दल ने जीत दर्ज की.1991 में कांग्रेस पार्टी ने जीत दर्ज की यह बीड में अबतक हुए चुनावों में कांग्रेस पार्टी की अंतिम जीत थी. 1996 में बीजेपी की रजनी पाटील इस सीट से सांसद बनीं और 1998,1999 में जयसिंहराव पाटील बीजेपी के टिकट से लड़कर संसद पहुंचे. 2004 में रजनी पाटील ने पाला बदल लिया और एनसीपी से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. उसके बाद गोपीनाथ मुंडे लगातार दो बार सांसद बने. फिर प्रीतम मुंडे ने लगातार दो बार जीत दर्ज की है.
बीड लोकसभा का वोट गणित
बीड लोकसभा क्षेत्र के अन्तर्गत 6 विधानसभा सीट गेवराई, माजलगांव, आष्टी, कैज, परली और बीड है. यहां कुल 20,45,405 मतदाता है. इसमें पुरुष 9,61,897 जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 10,83,504 जबकि थर्ड जेंडर निर्वाचक 4 हैं. 2019 में कुल मतदान प्रतिशत 66.12% था. बीजेपी ने बीड लोकसभा सीट से बीजेपी के पंकजा मुंडे को उम्मीदवार बनाया है जबकि चर्चा है कि ज्योति मेटे बीड में पंकजा मुंडे के खिलाफ चुनाव लड़ सकती है. ज्योति मेटे मराठा आरक्षण की मांग को मुखर होकर उठाने वाले दिवंगत विधायक विनायक मेटे की पत्नी हैं.
बीड क्यों है खास
बीड कृष्णा नदी के किनारे बसा है. पहाड़ों से घिरा यह क्षेत्र प्राकृतिक रूप से बहुत सुंदर है. कहा जाता है कि इस क्षेत्र को देवगिरि के यादव शासकों ने बसाया था बाद में बीड हैदराबाद निजाम की रियासत का हिस्सा बन गया. बीड में बाढ़ से बचाने के लिए बनाया गया दीवार प्रमुख है तो वहीं यहां का कंकलेश्वर मंदिर भी महाराष्ट्र का लोकप्रिय स्थान है.