घरों पर लगा ‘रोड नहीं तो वोट नहीं’ का पोस्टर
चुनावी मौसम में नेता भले ही बड़े-बड़े दावे कर ले लेकिन जमीनी हकीकत काफी होती है सच दिखाने के लिए की वादे करने में और पूरे करने में कितना अंतर होता है. आजमगढ़ जिले में भी एक ऐसा गांव है जहां पर ग्रामीणों ने नेताओं के चुनाव प्रचार पर पाबंदी लगा दी है. किसी भी प्रत्याशी या जनप्रतिनिधि को गांव के अंदर न घुसने देने के लिए प्रण ले लिया गया है.
गांव वालों का कहना है कि लगभग पिछले 10 सालों से ग्रामीण अपने गांव की सड़कों के लिए आंदोलन कर रहे हैं लेकिन कई सालों से जनप्रतिनिधि आते हैं वोट मांगते हैं और बड़े-बड़े दावे करते हैं और फिर गायब हो जाते हैं. नेताओं के खोखले वादों से परेशान ग्रामीणों ने चौक-चौराहों पर पोस्टर लगाकर रोड नहीं तो वोट नहीं का नारा दिया है. साथ ही अपना विरोध दर्ज कराया है.
‘रोड नहीं तो वोट नहीं’
दरअसल, पूरा मामला आजमगढ़ जिले के रानी की सराय ब्लॉक के मझगांवा गांव का है. यहां ग्रामीणों ने गांव के बाहर एक बोर्ड लगा रखा है की ‘रोड नहीं तो वोट नहीं’. इस गांव की सड़क लगभग दस सालों से काफी बदहाल है और इस संबंध में ग्रामीण जनप्रतिनिधियों से कई बार गुहार भी लगा चुके हैं. बावजूद इसके अभी तक इस गांव की बदहाल सड़क की किसी ने भी सुध नहीं ली है, जिससे आक्रोशित ग्रामीणों ने गांव के बाहर पोस्टर लगा दिया कि इस बार अगर ‘रोड नहीं तो वोट नहीं’.
गांव वालों ने खाई कसम
इतना ही नहीं ग्रामीणों का यह भी कहना है कि जब तक गांव की सड़क सही नहीं हो जाती हैं तब तक वह किसी भी पार्टी के जन प्रतिनिधि को गांव में घुसने नहीं देंगे. ग्रामीणों का आरोप है कि इसी जर्जर रोड से स्कूल की छात्र-छात्राएं आते-जाते हैं. अगर गांव में कोई बीमार पड़ जाए और हॉस्पिटल जाना हो तो इस जर्जर रोड पर घंटों सफर करना पड़ता है. इतना ही नहीं ग्रामीणों ने ये भी कहा कि इस जर्जर सड़क पर कई लोग गिर के चोटिल भी हो चुके हैं. इस गांव में कई बार समाजवादी पार्टी के नेता निरहुआ आ चुके हैं लेकिन किसी ने भी इसकी सुध नहीं ली. गांववालों का कहना है कि अगर यह सड़क नहीं बनी तो हम बड़ा आंदोलन करने को बाध्य होंगे.
(रिपोर्ट- अवनीश उपाध्याय/आजमगढ़)