एक्टर अरुण गोविल भगवान राम के किरदार में
टीवी शोज से लेकर फिल्मों तक में अरुण गोविल काम कर चुके हैं. लेकिन 33 साल पहले 1987 में आई रामानंद सागर की रामायण से उन्हें ऐसी पहचान हासिल हुई कि आज भी लोग अरुण गोविल को भगवान राम की तरह पूजते हैं. भगवान राम का किरदार निभाकर अरुण गोविल ने लोगों के दिलों में अपनी खास जगह बना ली और आज भी उनकी वो जगह बरकरार है. भगवान राम के किरदार को एक्टर ने बेहद ही सादगी के साथ दर्शकों के सामने पेश किया था.
जब रामायण टीवी पर टेलीकास्ट हुई तो घर-घर में भगवान राम की छवि के रूप में अरुण गोविल को देखा जाने लगा. आलम ये था कि जहां भी एक्टर दिखते लोग उनके पैर तक छू लिया करते थे. हालांकि बेहद कम लोग ये बात जानते हैं कि जिस भगवान राम के रोल को निभाकर अरुण गोविल ने खुद की पहचान बनाई, उस किरदार के लिए उन्हें पहले तो रिजेक्ट ही कर दिया गया था. एक रिपोर्ट की मानें तो अरुण गोविल जब रामायण के लिए राम के किरदार के लिए ऑडिशन देने पहुंचे थे, तो मेकर्स ने उन्हें रिजेक्ट कर दिया था.
अरुण गोविल को भगवान राम के किरदार के लिए इसलिए रिजेक्ट किया गया था क्योंकि वह स्मोकिंग किया करते थे. रामानंद सागर को उनकी ये हरकत बिल्कुल भी रास नहीं आई थी. उनका मानना था कि ऐसा शख्स भगवान राम नहीं बन सकता. हालांकि सूरज बड़जात्या की एक सलाह पर उन्हें ये रोल मिल भी गया था.
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दरअसल रिजेक्ट होने के बाद जब अरुण गोविल की मुलाकात फिल्ममेकर सूरज बड़जात्या से हुई तो उन्होंने उनसे कहा कि वह अपनी मुस्कुराहट का इस्तेमाल करें. रामानंद सागर ने उनका लुक टेस्ट देखा तो वह अरुण गोविल की मुस्कुराहट देख तुरंत राजी हो गए और उन्होंने एक्टर को फाइनल कर लिया. हालांकि खुद अरुण गोविल ने रामानंद सागर को इस बात का भरोसा दिलाया था कि वह फिर कभी सिगरेट को हाथ नहीं लगाएंगे.