मुख्तार अंसारी (फाइल फोटो)Image Credit source: Getty
मुख्तार अंसारी से भले ही बड़े से बड़े नेता और अधिकारी कांपते हों, लेकिन कई माफिया ऐसे भी थे जो मुख्तार से अदावत लेने की हिम्मत रखते थे. इसीलिए उसके दुश्मनों की लिस्ट काफी लम्बी थी. दुश्मनों की पहली लिस्ट में अगर किसी का नाम आता है तो वो पूर्वांचल के बड़े माफिया डॉन बाहुबली बृजेश सिंह का है. भले ही इनकी दुश्मनी की कहानी पुरानी थी लेकिन समय-समय पर ये ताजा होती रहती थी.
आपको बता दें मुख्तार अंसारी को गुरुवार बांदा मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था. मेडिकल कॉलेज की ओर से हेल्थ बुलेटिन जारी किया गया. कई डॉक्टरों की टीम लगातार उसे बचाने के प्रयास में जुटी रही, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल सकी. अब ऐसे में सवाल उठ रहा है आखिर उसे कौन जहर देकर मारना चाहता है?
मुख्तार के भले ही अपने कई दुश्मनों को पानी पिलाया हो लेकिन उसरी चट्टी कांड के नाम से मशहूर एक घटना है, जिसके कारण मुख्तार कई रातों तक सो नहीं पाया था. इस घटना में मुख्तार के 2 गनर की जान चली गयी थी. दरअसल साल 2001 में बृजेश सिंह ने मुख्तार अंसारी पर पहला हमला करवाया था. इस हमले में मुख्तार अंसारी की तो जान बाल बाल बच गई थी. लेकिन उसके दोनों गनर मार दिए गए थे. ये घटना आज भी उसरी चट्टी कांड के नाम से मशहूर है.
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कैसे शुरू हुई दुश्मनी की दास्तां
90 के दशक में दो ही गैंग मशहूर होते थे. साहिब सिंह और मजनू सिंह नाम के दोनों गैंग सक्रिय थे. त्रिभुवन सिंह साहिब सिंह गैंग का सदस्य था. इसके बाद वो बृजेश सिंह को इसी गैंग में शामिल करवा लेता है. बृजेश सिंह और त्रिभुवन सिंह की बहुत गहरी दोस्ती हो जाती है. इस दोस्ती की कहानी को जानना इसलिए जरूरी है क्योंकि त्रिभुवन सिंह की दुश्मनी भी मुख्तार अंसारी से थी. जिसके बाद त्रिभुवन सिंह की इस दुश्मनी का बीड़ा खुद बृजेश ने उठा लिया और अब ये दुश्मनी बृजेश सिंह बनाम मुख्तार बन गई थी.
जब चुनाव हारा था मुख्तार का भाई
राजनीतिक संरक्षण पाने के लिए बृजेश सिंह ने नित्यानंद राय से नजदीकियां बढ़ा ली थी. साल 2002 में नित्यानंद राय ने मुख्तार अंसारी के भाई अफजल अंसारी को चुनाव में हरा दिया. इसके बाद नित्यानंद राय की बेरहमी से हत्या कर दी जाती है. जिसके आरोप मुख्तार पर लगते है. 29 नवंबर 2005 को मुख्तार गैंग नित्यानंद राय को गोलियों से छलनी कर देता है. बताया जाता है कि मुन्ना बजरंगी और उसके साथियों ने एके 47 से करीब 400 राउंड फायरिंग की. पोस्टमॉर्टम के दौरान बीजेपी विधायक कृष्णानंद और उनके 6 साथियों के शरीर से 67 गोलियां बरामद हुई थीं. इसके बाद बृजेश सिंह भी इलाके में नहीं दिखता है और मुख्तार का दबदबा बढ़ जाता है.
बृजेश की वापसी
कुछ सालों बाद बृजेश सिंह अपनी वापसी करता है. इस बीच राजनीति में अपना परचम लहराने लगता है. बृजेश सिंह के बड़े भाई उदयभान सिंह और खुद बृजेश सिंह एमएलसी का चुनाव लड़ते हैं और जीतते हैं. इसके बाद मुख्तार भी पंजाब जेल से उत्तर प्रदेश की जेल लाया जाता है. धीरे धीरे मुख्तार के दबदबे का ग्राफ गिरने लगता है. और बृजेश सिंह अपनी राजनीतिक पकड़ को और मजबूत कर लेता है. हाल ही में उनकी पत्नी अन्नपूर्णा सिंह फिर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर एमएलसी बनी हैं.