अगर आप भी शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करते हैं तो आपको अब शेयर बेचने पर अपने पैसों का इंतजार नहीं करना पड़ेगा. अब सेम डेट में ही पैसा आपके अकाउंट में आ सकेगा. दरअसल यह संभव हुआ है T-0 सेटलमेंट से. क्या होता है T-1, T-2 और T-0 सेटलमेंट? आइए आपको बताते हैं.
क्या होगा बदलाव?
T-0 सेटलमेंट सिस्टम का बीटा वर्जन गुरुवार से शेयर बाजारों में लागू हो गया. इस निपटान साइकल का उद्देश्य सभी ट्रेडिंग साइकल में तेजी लाना है. जैसा कि नाम से पता चलता है, टी-0 सिस्टम के तहत शेयरों से जुड़े लेनदेन का निपटान उसी दिन किया जाएगा, जिस दिन शेयर खरीदार के खाते में ट्रांसफर किए जाएंगे और कारोबार के दिन विक्रेता के खाते में धनराशि जमा की जाएगी. अभी की बात करें तो लिए गए ट्रेड का निपटान अगले दिन T-1 सेटलमेंट के तहत किया जाता है.
सिर्फ इन शेयरों पर होगा ट्रायल
बता दें कि अभी यह छोटे निपटान साइकल का ‘बीटा’ वर्जन है, जिसे एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में पेश किया गया है, जो एक्सचेंजों को कैश मार्केट में मौजूदा T-1 साइकल के साथ वैकल्पिक आधार पर सिस्टम की पेशकश करने की अनुमति देगा. स्टार्टिंग में इसके तहत सिर्फ 25 शेयरों को शामिल किया गया है. एक बार यह पायलट प्रोजेक्ट सफल हो जाता है तो इसे सभी शेयर के लिए लागू कर दिया जाएगा.
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क्या होता है T-1, T-2 और T-0 सेटलमेंट?
“T” का मतलब लेन-देन की तारीख यानी ट्रांजैक्शन से है, जिसमें T-0 का मतलब सेम डे ट्रांजेक्शन निपटान है, जबकि वही T-1 और T-2 का मतलब ट्रांजैक्शन के अगले या फिर उसके बाद के दिन पूरा होना है. पहले शेयर बेचने पर T-2 सेटलमेंट की प्रक्रिया थी, जिसे बाद में कम कर T-1 कर दिया गया था, लेकिन अब फिर से इसमें बदलाव किया गया है, जिसके बाद सेटलमेंट की तारीख T-0 हो गई है.