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Wednesday, December 4, 2024
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यूपी की मुस्लिम बहुल सीटों पर सपा बसपा क्यों खेल रही हैं हिंदू कार्ड? | uttar pradesh politics Muslim majority seats hindutva card bsp congress sp bjp mayawati akhilesh yadav rahul gandhi muslim candidate


यूपी की मुस्लिम बहुल सीटों पर सपा-बसपा क्यों खेल रही हैं हिंदू कार्ड?

मायावती और अखिलेश यादव

उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव को लेकर सियासी दलों के बीच शह-मात का खेल जारी है. सूबे में इस बार बीजेपी ही नहीं बल्कि सपा से लेकर बसपा और कांग्रेस तक मुस्लिम बहुल लोकसभा सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशी को उतारने के बच रहे हैं. मुस्लिमों की जगह हिंदू कार्ड खेल रही है. पश्चिमी यूपी से लेकर पूर्वांचल तक की सीटों पर यही पैटर्न दिख रहा है. 20 फीसदी मुस्लिम समुदाय सिर्फ विधानसभा सीटों पर ही नहीं बल्कि लोकसभा चुनावों में भी हार-जीत की भूमिका अदा करते हैं. इसके बावजूद आखिर क्या वजह है कि बसपा और सपा मुस्लिमों पर दांव खेलने से क्यों बच रही हैं?

यूपी में मुस्लिम आबादी भले ही 20 फीसदी हो, लेकिन पश्चिमी यूपी में 26 से 50 फीसदी तक है. मुस्लिम वोटर 26 लोकसभा सीटों पर अहम भूमिका अदा करते हैं, जिसमें ज्यादातर सीटें पश्चिमी यूपी और रुहेलखंड क्षेत्र की हैं. सपा ने अभी तक सिर्फ चार मुस्लिम प्रत्याशी बनाए हैं जबकि बसपा ने सात मुसलमानों को टिकट दिया है. कांग्रेस ने यूपी की दो सीट पर मुस्लिम कैंडिडेट उतारे हैं जबकि बीजेपी ने एक भी मुस्लिम को टिकट नहीं दिया. बीजेपी पहले भी ऐसा ही करती रही है, लेकिन सपा ने इस बार स्टैंड बदल दिया है. मुस्लिम बहुल सीटों पर हिंदू समुदाय के प्रत्याशी उतारे हैं.

मुस्लिम बहुल सीटों पर हिंदू उम्मीदवार

बता दें कि यूपी के मेरठ, बिजनौर, मुजफ्फरनगर, मुरादाबाद, कैराना, संभल, बरेली, बदायूं, गाजीपुर, श्रावस्ती, गोंडा, आजमगढ, फिरोजाबाद, लखनऊ, लखीमपुर खीरी, धौहरारा (शाहाबाद), बागपत, प्रतापगढ़, सीतापुर, देवरिया, डुमरियागंज, सुल्तानपुर, संत कबीर नगर, उन्नाव, रामपुर और सीतापुर लोकसभा पर मुस्लिम समुदाय के नेता चुनाव लड़ते रहे हैं. इन सीटों पर कभी न कभी मुस्लिम समुदाय के सांसद रहे हैं. हालांकि, इस बार राजनीतिक दल मुस्लिम समुदाय के प्रत्याशी को उतारने से बच रहे हैं, जिसमें कई सीटों तो ऐसी हैं, जहां पर 37 से 40 फीसदी तक मुस्लिम है.

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मेरठ लोकसभा सीट पर बीजेपी ने अरुण गोविल को उतारा है तो सपा ने भानू प्रताप सिंह और बसपा ने देववृत त्यागी को उतारा है. इस तरह तीनों प्रमुख पार्टियों से हिंदू कैंडिडेट है जबकि इससे पहले सपा और बसपा मुस्लिम कैंडिडेट उतारते रहे हैं. मुस्लिम सांसद भी रहे हैं और 2019 में बसपा के याकूब कुरैशी बहुत मामूली वोट से हार गए थे. यहां पर 37 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम वोटर है, उसके बाद भी किसी भी राजनीतिक दल ने मुस्लिम प्रत्याशी पर दांव नहीं खेला.

बिजनौर लोकसभा सीट पर 40 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं, लेकिन किसी भी दल ने इस बार किसी मुसलमान को टिकट नहीं दिया है. सपा ने दीपक सैनी, आरएलडी ने चंदन चौहान और बसपा ने चौधरी बिजेंद्र सिंह को कैंडिडेट बनाया है. 2019 चुनाव में कांग्रेस से नसीमुद्दीन सिद्दीकी और 2014 में सपा से शाहनवाज राणा और आरएलडी से शाहिद सिद्दीकी चुनाव लड़े थे. अब्दुल लतीफ गांधी यहां से सांसद रह चुके हैं.

मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर बीजेपी ने संजीव बालियान, सपा ने हरेंद्र मलिक और बसपा ने दारा सिंह प्रजापति को प्रत्याशी बनाया है. इस तरह से तीनों ही प्रमुख पार्टियों में से किसी ने भी मुस्लिम को टिकट नहीं दिया जबकि यहां पर करीब 34 फीसदी मुस्लिम वोटर्स हैं. 2014 में कादिर राणा नंबर दो पर थे जबकि 2009 में यहां से सांसद रहे हैं. कादिर राणा सहित सात मुस्लिम नेता मुजफ्फरनगर से सांसद रह चुके हैं. इसके बावजूद किसी भी प्रमुख दल ने इस बार किसी मुस्लिम को टिकट नहीं दिया.

बागपत सीट पर सभी दलों ने हिंदू प्रत्याशी उतारे हैं, जिसमें बसपा से प्रवीण बंसल, आरएलडी ने राजकुमार सांगवान और सपा ने मनोज चौधरी चुनाव मैदान में है. 2014 में सपा के गुलाम मोहम्मद नंबर दो पर थे जबकि चौधरी अजित सिंह तीन नंबर पर थे. 2004 में बसपा के औलाद अली नंबर दो पर रहे थे. बागपत में करीब 26 फीसदी मुस्लिम मतदाता है. इसके बाद भी किसी भी दल ने मुस्लिम पर दांव नहीं खेला.

बरेली लोकसभा सीट पर 30 फीसदी के करीब मुस्लिम मतदाता है. बीजेपी ने छत्रपाल गंगवार, सपा ने प्रवीण ऐरन को उम्मीदवार बनाया है जबकि बसपा ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं. लखीमपुर खीरी सीट पर सपा, बसपा और बीजेपी ने मुस्लिम के बजाय हिंदू प्रत्याशी पर दांव खेला है. 2009 में जफर अली नकवी सांसद रह चुके हैं. फर्रुखाबाद लोकसभा सीट पर तीन बार मुस्लिम सांसद रहे चुके हैं. कांग्रेस के दिग्गज नेता सलमान खुर्शीद दो बार सांसद रहे हैं और उससे पहले उनके पिता जीत हैं. इसके बावजूद किसी भी दल ने किसी मुस्लिम को टिकट नहीं दिया.

श्रावस्ती लोकसभा सीट पर करीब 40 फीसदी के करीब मुस्लिम वोटर हैं, लेकिन किसी भी दल ने कोई टिकट नहीं दिया. श्रावस्ती सीट पहले बलरामपुर के नाम से जानी जाती है, जहां से रिजवान जहीर और फसीउर्रहमान सांसद रह चुके हैं. आजमगढ़ लोकसभा सीट पर मुस्लिम समुदाय 27 फीसदी है और यहां से अकबर अहमद डंपी दो बार सांसद रहे हैं. इस बार सपा और बीजेपी दोनों ने यादव कैंडिडेट दिए हैं जबकि बसपा ने अभी अपना पत्ता नहीं खोला. फिरोजाबाद, लखनऊ, धौहरारा (शाहाबाद), प्रतापगढ़, सीतापुर और देवरिया सहित डुमरियागंज व सुल्तानपुर सीट पर मुस्लिम चुनाव लड़ते रहे हैं, लेकिन इस बार कोई दल मुस्लिम चेहरे पर दांव खेलने से बच रहे हैं.

7 सीट पर 40 फीसदी से भी ज्यादा मुस्लिम

उत्तर प्रदेश की सियासत में मुस्लिम वोटर सात लोकसभा सीट पर 40 फीसदी से भी ज्यादा है. इन्हीं सात में से छह जगह पर मुस्लिम सांसद 2019 में चुने गए थे. 2014 में एक भी मुस्लिम सांसद नहीं चुना गया था. आजादी के बाद पहली बार यह था, जब कोई मुस्लिम चुनाव नहीं जीत सका है. मुस्लिम मतदाता लंबे समय तक उत्तर प्रदेश में किंगमेकर की भूमिका अदा करते रहे हैं, लेकिन वक्त के साथ सियासत ने ऐसी करवट ली कि राजनीति अल्पसंख्यक से हटकर बहुसंख्यक समुदाय के इर्द-गिर्द सिमट गई. यही वजह है कि बसपा से लेकर कांग्रेस और सपा तक किसी मुस्लिम कैंडिडेट पर दांव खेलने से बच रही है.

सूबे की सियासी बिसात पर मुस्लिम वोट बैंक की राजनीतिक अहमियत को अनदेखा नहीं किया जा सकता है. इसीलिए सूबे में मुस्लिम वोटों को लेकर सपा-कांग्रेस गठबंधन से लेकर बसपा तक की नजर है तो बीजेपी भी पसमांदा मुस्लिम दांव खेल रही है, लेकिन टिकट देने से कतरा रही है. विपक्ष को यह डर सता रहा है कि मुस्लिम बहुल सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशी को उतारने से हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण बीजेपी के पक्ष में हो सकता है. इसीलिए हिंदू कैंडिडेट देकर मुस्लिम के साथ हिंदू वोटों को भी साधे रखना चाहती है. यही वजह है कि विपक्ष इस बार अपना पैटर्न बदला है.

हालांकि, कैराना लोकसभा सीट पर सपा ने इकरा हसन के रूप में मुस्लिम कैंडिडेट को उतारा है तो सहारनपुर और अमरोहा सीट पर कांग्रेस व बसपा ने मुस्लिम प्रत्याशी बनाया है. मुरादाबाद, संभल और रामपुर लोकसभा सीट सपा और बसपा ने मुस्लिम उम्मीदवार को उतारा है. बसपा ने यूपी की सात लोकसभा सीट पर मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं, जिनमें कन्नौज, आंवला और अंबेडकरनगर सीट शामिल हैं. सपा ने गाजीपुर से अफजाल अंसारी को अपना प्रत्याशी बना रखा है.



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