इतिहास में पहली बार मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में सऊदी अरब का झंडा नजर आएगा, 27 साल की मॉडल रूमी अलकाहतानी देश का प्रतिनिधित्म करेंगी.
कट्टरपंथी इस्लामिक देश सऊदी अरब बदल रहा है. औरतों के मामले में भी. इतिहास में पहली बार मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में सऊदी अरब का झंडा नजर आएगा. दुनिया की सबसे लोकप्रिय सौंदर्य प्रतियोगिता में 27 साल की मॉडल रूमी अलकाहतानी सऊदी अरब का प्रतिनिधित्म करेंगी. रूमी ने अपनी इंस्टाग्राम पोस्ट में लिखा, ‘मिस यूनिवर्स 2024 कॉम्पिटीशन में भाग लेने पर मैं सम्मानित महसूस कर रही हूं. पहली बार इस प्रतियोगिता में सऊदी अरब साम्राज्य पहुंचेगा. इस पोस्ट के साथ रूमी ने अपनी कई तस्वीरें भी साझा की हैं.
यह ऐलान सऊदी अरब की उस सोच पर मुहर लगाता है जो समय के साथ बदल रही है. सऊदी अब अपनी कट्टरपंथी देश वाली छवि को बदल रहा है. पिछले कुछ सालों में महिलाओं को लेकर उठाए गए कदम इसकी तस्दीक करते हैं. आइए जानते हैं कैसे
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बिना पुरुष की मर्जी से विदेश यात्रा की अनुमति
पिछले 5 से 7 सालों में सऊदी अरब ने कई ऐसे फैसले लिए जिससे महिलाओं को अधिक स्वतंत्रता के साथ जीने का मौका मिला. कई कानून में बदलाव किए ताकि उन्हें पहले से अधिक अधिकार मिले. साल 2019 में महिलाओं को बिना पुरुष अभिभावक की अनुमति के बिना विदेश यात्रा करने की अनुमति दी गई. इसके अलावा शाादी के लिए रजिस्ट्रेशन से लेकर आधिकारिक दस्तावेज बनाने के लिए भी पुरुषों की अनुमति की बाध्यता को खत्म किया गया. बिना किसी पुरुष के घर से निकलने के लिए बने नियमों में भी बदलाव किया गया.
वोटिंग, ड्राइविंग समेत कई अधिकार मिले
सऊदी ने महिलाओं को मतदान करने का अधिकार दिया. उन्हें ड्राइविंग करने अनुमति दी. इसके साथ ही उन्हें थिएटर में मूवी देखने और स्टेडियम में फुटबॉल मैच देखने जैसे कई बुनियादी अधिकार दिए गए.
इतना ही नहीं, सऊदी ने महिलाओं को विदेशों में भी अपने देश का प्रतिनिधित्व करने का मौका दिया. साल 2019 में सऊदी अरब ने पहली बार किसी महिला राजदूत की नियुक्ति की थी. अब तक 5 महिलाओं को यह मौका दिया जा चुका है.
कई सेक्टर में महिलाओं का बढ़ रहा दबदबा
यहां के अलग-अलग सेक्टर में महिलाएं कॅरियर बना रही हैं. साल-दर-साल इसके आंकड़े भी बढ़ रहे हैं. 2021 में 14.65 फीसदी युवा महिलाएं साइंस और टेक्नोलॉजी सेक्टर से जुड़ीं. 25 फीसदी महिलाओं ने कानून और व्यवसायिक क्षेत्र में अपनी पहचान दर्ज कराई. वहीं, 7 फीसदी महिलाएं हेल्थ सेक्टर से जुड़ी हुई हैं. इसके अलावा टूर गाइड, हॉस्पिटैलिटी और दूसरे क्षेत्रों में भी महिलाओं का दबदबा बढ़ रहा है.
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी IMF की रिपोर्ट कहती है, सऊदी अरब में काम करने वाले लोगों में 36 फीसदी तक महिलाएं हैं. पहले सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन सलमान अपने विजन में 2030 तक वर्कफोर्स में 30 फीसदी महिलाओं की भागीदारी का लक्ष्य रखा था जो 2022 में ही पूरा हो गया था. 2018 के आंकड़े पर नजर डालें तो यहां वर्कफोर्स में महिलाओं की उपस्थिति मात्र 19.7 फीसदी ही थी.
सऊदी अरब पहले ही अपना विजन 2030 शेयर कर चुका है जिसके तहत वो अपने देश को आधुनिक अर्थव्यवस्था वाला मुल्क बनाना चाहता है. इसको ध्यान में रखते हुए सऊदी कई बदलाव कर रहा है, कानूनों में संशोधन कर रहा है और महिलाओं के अधिकार में बढ़ोतरी कर रहा है.
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